द लेंस डेस्क। manipur: इंफाल में 13 फरवरी 2025 से लागू राष्ट्रपति शासन के खिलाफ मैतेई संगठन कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI) के नेतृत्व में हजारों लोगों ने उग्र प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी राजभवन की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन सुरक्षा बलों ने एम सेक्टर गेट पर उन्हें रोक लिया। स्थिति बेकाबू होने पर पुलिस को आंसू गैस और धुआं बमों का इस्तेमाल करना पड़ा, जिसमें 7 लोग घायल हो गए। COCOMI ने राष्ट्रपति शासन को मणिपुर की संवैधानिक मशीनरी की विफलता करार दिया और इसे तत्काल हटाने की मांग की। संगठन का आरोप है कि यह शासन हिंसा को रोकने में नाकाम रहा है, जिससे मणिपुर में तनाव और अस्थिरता बढ़ रही है।
क्या है तनाव का कारण
मणिपुर में मई 2023 से मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा जारी है, जिसमें अब तक 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे और विधानसभा सत्र को रद्द करने के बाद 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। प्रदर्शनकारी इसे केंद्र सरकार की नाकामी मानते हैं, जबकि विपक्षी दल, जैसे कांग्रेस, ने इसे देर से लिया गया जरूरी कदम बताया। हाल ही में, शिरुई लिली फेस्टिवल 2025 के कवरेज के दौरान पत्रकारों और अधिकारियों को सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर परेशान किए जाने की घटना ने भी तनाव को बढ़ाया। COCOMI ने इस घटना की निंदा करते हुए 48 घंटे के बंद का आह्वान किया, जिससे इंफाल घाटी के पांच जिलों में जनजीवन प्रभावित हुआ।
मौजूदा स्थिति
प्रदर्शनों के बाद इंफाल में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं, और प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। मणिपुर में हाल के महीनों में हिंसा में कमी आई है, लेकिन जातीय तनाव और अविश्वास का माहौल बरकरार है। सरकार ने पत्रकारों के साथ हुई घटना की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति गठित की है। साथ ही, मणिपुर में हथियारों की लूट और उग्रवाद पर अंकुश लगाने के लिए अभियान तेज किए गए हैं, जिसमें हाल ही में 10 उग्रवादी मारे गए और कई गिरफ्तार किए गए।
सरकार के सामने बड़ी चुनौती
मणिपुर में शांति स्थापना के लिए केंद्र और राज्य प्रशासन के सामने कई चुनौतियां हैं। COCOMI और अन्य संगठनों का कहना है कि राष्ट्रपति शासन से समस्याएं हल होने के बजाय और जटिल हो रही हैं। दूसरी ओर कुकी जो समुदायों ने भी हिंसा और अविश्वास का हवाला देते हुए विरोध प्रदर्शन किए हैं। मणिपुर में स्थायी शांति के लिए सभी समुदायों के बीच संवाद और विश्वास बहाली की जरूरत है, लेकिन अभी तक कोई ठोस राजनीतिक या सुरक्षा समाधान सामने नहीं आया है।