जानकार कहते हैं कि कोरोना कही गया ही नहीं था, बल्कि उसने अपना रूप बदल लिया है। इसके बावजूद इसे हलके में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि एक हफ्ते के दौरान देश भर में कोविड-19 के संक्रमण से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या एक हजार को पार कर चुकी है और सात लोगों की मौत हो गई है। पांच साल पहले 2020 में कोविड-19 के संक्रमण ने सारी दुनिया को ही बदल कर रख दिया था, नतीजतन कोविड के संक्रमण और उससे हुई मौतों का आकलन आज तक किया जा रहा है। निःसंदेह कोविड-19 की पहली, दूसरी और तीसरी लहरों से दुनिया और देश ने काफी सबक सीखा, सबने देखा कि कैसे रोजमर्रा के शब्दकोश में लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग और क्वारंटीन जैसे नए शब्द शामिल हो गए थे। दुनिया ने यह भी देखा था कि एक महामारी कैसे सब कुछ अस्त-व्यस्त कर सकती है। स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर अर्थव्यवस्था तक। कोरोना के सर्वाधिक मामले अभी केरल से ही आए हैं, जिससे यह भी पता चलता है कि वहां कोरोना से लड़ने की एक पुख्ता व्यवस्था काम कर रही है। दरअसल कोरोना से लड़ाई का पहला कदम यही है कि जांच हो और इस मामले में केरल सबसे आगे रहा है। पुराने अनुभव से पता चलता है कि कोरोना के वैरिएंट का म्युटेशन भी संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ने के साथ बढ़ता है। भारत में अभी NB.1.8.1 और LF.7 जैसे नए वैरिएंट पाए गए हैं, जाहिर है इनके बारे में आने वाले कुछ दिनों में और जानकारी सामने आएंगी। पिछली बार सरकार की ओर से मनमाने ढंग से लॉकडाउन लगाने या उसे हटाने, या फिर वैक्सीन की क्षमता को लेकर जैसी गलतियां हुई थीं, अभी यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि ऐसी गलतियों और लापरवाही का दोहराव न हो।

