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माओवादियों के शवों को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई,  कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस से संपर्क की सलाह दी

Lens News Network
Last updated: May 25, 2025 3:02 pm
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अमरावती। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने शनिवार को दो याचिकाओं पर सुनवाई की। इन याचिकाओं में मृतकों के परिवार वालों ने मुठभेड़ में मारे गए सज्जा वेंकट नागेश्वर राव (उर्फ राजन्ना/नवीन) और नंबाला केशव राव (उर्फ बसवराज) के शवों को अंतिम संस्कार के लिए सौंपने की मांग की थी। ये दोनों माओवादी संगठन से जुड़े थे और हाल ही में छत्तीसगढ़ में मारे गए थे।

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि जब वे शव लेने छत्तीसगढ़ गए, तो पुलिस ने उन्हें मना कर दिया और वहां से भगा दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि वे आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं और इसलिए उन्होंने यहां की हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

वकीलों की दलीलें

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्हें शव लेने से रोका गया और आंध्र प्रदेश पुलिस ने उन्हें नजरबंद कर दिया, जिससे वे छत्तीसगढ़ नहीं जा सके। उन्होंने संविधान और सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि इस कोर्ट को सुनवाई का अधिकार है।

सरकारी पक्ष का जवाब

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर महाधिवक्ता  ने कहा कि यह मामला वहीं की हाई कोर्ट के अधिकार में आता है और शव न देने का कोई पक्का सबूत नहीं दिया गया। आंध्र प्रदेश सरकार ने भी यही बात दोहराई कि चूंकि शव वहां नहीं हैं, इसलिए इस कोर्ट को आदेश देने का अधिकार नहीं है।

केंद्र सरकार ने बताया कि सीआरपीएफ की कोई भूमिका नहीं है और अगर शव दिए गए तो वहां कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है, क्योंकि अंतिम संस्कार के नाम पर विरोध या जुलूस निकल सकता है।

कोर्ट का फैसला

कोर्ट ने क्षेत्रीय अधिकार को लेकर बहस में न पड़ते हुए, याचिकाओं का निपटारा कर दिया। कोर्ट ने यह माना कि शवों का पोस्टमार्टम 24 मई तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद शव परिवार वालों को सौंपे जाएंगे। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सलाह दी कि वे छत्तीसगढ़ पुलिस से संपर्क करें और शव ले जाकर शांतिपूर्वक अंतिम संस्कार करें। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अंतिम संस्कार से पहले कुछ शर्तें लगाई जा सकती हैं, ताकि कोई अशांति न फैले।

TAGGED:andhra pradeshBIg naxal OperationChhattisgarhchhattisgarh policeCRPFTop_News
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