द लेंस डेस्क। भारत ने जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ( INDIAN ECONOMY )का खिताब अपने नाम कर लिया है। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था अब 4 ट्रिलियन डॉलर की हो गई है। ये आंकड़ा इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) की ताज़ा रिपोर्ट पर आधारित है।
सुब्रह्मण्यम ने नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “पिछले कुछ सालों में भारत ने तेज़ी से तरक्की की है। पहले हमने 2022 में ब्रिटेन को पीछे छोड़कर पांचवां स्थान हासिल किया था, और अब जापान को पछाड़कर हम चौथे नंबर पर आ गए हैं। हमें उम्मीद है कि अगले ढाई से तीन साल में हम जर्मनी को भी पीछे छोड़कर तीसरे नंबर पर पहुंच जाएंगे।” अगर ऐसा हुआ, तो भारत सिर्फ अमेरिका और चीन से पीछे रहेगा, जो क्रमशः 26 ट्रिलियन और 18 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्थाओं के साथ पहले और दूसरे स्थान पर हैं।

भारत की इस सफलता के पीछे कई अहम वजहें हैं। डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी पहल ने देश में टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नई रफ्तार दी है। इसके अलावा, स्टार्टअप्स में बढ़ता निवेश और यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या में इजाफा भी भारत की इकॉनमी को मज़बूत कर रहा है। 2025 तक भारत में 100 से ज़्यादा यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स हैं, जो 1 बिलियन डॉलर से ज़्यादा की वैल्यूएशन वाली कंपनियां हैं।
भारत की विशाल जनसंख्या भी इस उपलब्धि में बड़ा फैक्टर साबित हुई है। विशाल मार्केट और मैनपावर भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाने में मदद कर रहा है। भारत का युवा वर्कफोर्स, जिसमें 65% से ज़्यादा लोग 35 साल से कम उम्र के हैं, देश को ग्लोबल मार्केट में एक मज़बूत दावेदार बनाता है।

भारत की इकॉनमी में कई सेक्टर्स ने अहम भूमिका निभाई है। टेक्नोलॉजी सेक्टर में भारत अब ग्लोबल लीडर बन चुका है। बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे जैसे शहर टेक हब के रूप में उभरे हैं, जहां गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेज़न जैसी कंपनियां बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं। इसके अलावा, ऑटोमोबाइल सेक्टर में भारत इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) के प्रोडक्शन में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी कंपनियां EV मार्केट में बड़ा नाम बन चुकी हैं।
एग्रीकल्चर और सर्विस सेक्टर भी भारत की इकॉनमी की रीढ़ बने हुए हैं। सर्विस सेक्टर, खासकर IT और सॉफ्टवेयर सर्विसेज़, भारत की GDP में 55% से ज़्यादा का योगदान देता है। वहीं, रिन्यूएबल एनर्जी में भारत का जोर जैसे सोलर और विंड पावर देश को सस्टेनेबल ग्रोथ की ओर ले जा रहा है।
हालांकि भारत के सामने कई चुनौतियां भी हैं। बढ़ती जनसंख्या के साथ रोज़गार, शिक्षा, और हेल्थकेयर जैसी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करना एक बड़ा टास्क है। विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अभी भी 12% आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है। इसके अलावा, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और अर्बनाइजेशन को लेकर भी तेज़ी से काम करने की ज़रूरत है।

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अगर इसी रफ्तार से आगे बढ़ता रहा, तो 2030 तक हमारी इकॉनमी 7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। सरकार की नई नीतियां, जैसे पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का निवेश भारत को और मज़बूत करेंगी।
भारत की इस उपलब्धि का असर ग्लोबल लेवल पर भी देखने को मिलेगा। G20 और ब्रिक्स जैसे मंचों पर भारत की आवाज़ अब और मज़बूत होगी। साथ ही भारत का बढ़ता आर्थिक कद उसे ग्लोबल ट्रेड और इन्वेस्टमेंट के लिए एक आकर्षक डेस्टिनेशन बनाता है।