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Home » मीडियाकर्मियों से लदी सरकारी बस के शीशे से मणिपुर मिटाने पर 48 घंटे का जनता कर्फ्यू

देश

मीडियाकर्मियों से लदी सरकारी बस के शीशे से मणिपुर मिटाने पर 48 घंटे का जनता कर्फ्यू

Awesh Tiwari
Last updated: May 23, 2025 10:09 pm
Awesh Tiwari
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Manipur
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नेशनल ब्यूरो। दिल्ली

खबर में खास
राज्यपाल ने दिए जांच के आदेशबंद का व्यापक जनसमर्थनपत्रकारों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी

मणिपुर से आ रही ताजा खबर चौंकाने वाली है। मगर मुख्य धारा की मीडिया से गायब है। मीडियाकर्मियों से लदी मणिपुर स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस को सुरक्षाकर्मियों द्वारा कथित तौर पर बंधक बनाकर मणिपुर का लेबल मिटाए जाने को लेकर आम जनता की नाराजगी चरम पर है। इस घटना के विरोध में मणिपुर अखंडता समन्वय समिति COCOMI के आवाहन पर बुलाए गए 48 घंटे के पूर्ण बंद ने मणिपुर के घाटी जिलों में जनजीवन को ठप्प कर दिया है। सरकारी दफ्तर, स्कूल कालेज सब बंद रहे हैं।

येंगंगपोकपी के ग्वालटाबी इलाके में मणिपुर राज्य परिवहन (MST) की बस के अगले शीशे से “मणिपुर” शब्द मिटाए जाने की कथित घटना के विरोध में शुरू किया गया था।इस घटना से व्यापक आक्रोश फैल गया, COCOMI ने इसे राज्य की पहचान और अखंडता का अपमान बताया।

राज्यपाल ने दिए जांच के आदेश

मणिपुर के राज्यपाल ने 20 मई, 2025 को ग्वालटाबी चेकपोस्ट के पास मीडियाकर्मियों को ले जा रही मणिपुर राज्य सड़क परिवहन (MSRTC) की बस को रोके जाने की परिस्थितियों की जांच के लिए दो सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। बस शिरुई लिली महोत्सव, 2025 के उद्घाटन समारोह को कवर करने के लिए उखरूल जा रही थी। राज्यपाल की ओर से मुख्य सचिव द्वारा जारी एक बयान में समिति के गठन की पुष्टि की गई। जांच पैनल में मणिपुर सरकार के आयुक्त एन अशोक कुमार और मणिपुर सरकार के सचिव किरणकुमार सिंह शामिल होंगे।

बंद का व्यापक जनसमर्थन

बंद को लोगों का भरपूर समर्थन मिला है , खास तौर पर इम्फाल ईस्ट, इम्फाल वेस्ट, बिष्णुपुर, थौबल और काकचिंग सहित घाटी जिलों में। सड़कें सुनसान रहीं क्योंकि महिलाओं के बड़े समूह सड़कों पर उतर आए, उन्होंने प्रमुख चौराहों को अवरुद्ध कर दिया और वाहनों की आवाजाही रोक दी। केवल आपातकालीन और सुरक्षा बलों के वाहनों को ही गुजरने दिया गया और उन्हें भी तब तक नहीं रोका गया जब तक कि उनके आगे के शीशों पर “मणिपुर, कांगलीपाक” स्पष्ट रूप से नहीं लिखा हुआ था।

इसे भी पढ़ें : मणिपुर में हिंसा के दो साल, राहत शिविरों में जारी है जिंदगी की जंग

पाओना बाजार, थंगल बाजार और इंफाल के तीन इमा कीथेल जैसे बाजार और व्यावसायिक केंद्र पूरी तरह से बंद रहे। मणिपुर घाटी के सभी जिला मुख्यालयों में भी यही स्थिति रही। सरकारी कार्यालयों में कम उपस्थिति दर्ज की गई और बैंक पूरे दिन बंद रहे। स्कूल और कॉलेज भी बंद रहे। बंद के चलते पूरी घाटी वीरान नजर आई।

पत्रकारों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी

इस घटना के विरोध में पत्रकारों ने पहले ही सरकारी कार्यक्रमों के विरोध और पेन डाउन हड़ताल करने का फैसला किया है। पत्रकार संगठनों का कहना है कि सरकारी वाहन से राज्य का नाम हटाना न केवल एक शर्मनाक कार्य है, बल्कि मणिपुर की क्षेत्रीय और सांस्कृतिक पहचान पर एक प्रतीकात्मक हमला है। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दे और यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कार्रवाई करे कि ऐसी हरकतें दोबारा न हों। समिति ने चेतावनी दी कि अगर इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया गया तो विरोध के और भी उग्र रूप सामने आएंगे।

TAGGED:COCOMIJanta CurfewLatest_NewsManipur
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