रायपुर। आजादी के तुरंत बाद फ्रांस से आए श्री एम. हॉस्टल द्वारा स्थापित फ्रैंको इंडियन फार्मास्यूटिकल कंपनी, जो आज भारत की एक प्रतिष्ठित दवा कंपनी के रूप में जानी जाती है, अपने कर्मचारियों के साथ अन्याय के आरोपों के चलते विवादों में घिर गई है। कंपनी में कार्यरत लगभग 1400 दवा प्रतिनिधियों ने प्रबंधन की कथित मनमानी नीतियों के खिलाफ 21 और 22 मई को दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल शुरू की है।
कर्मचारियों का आरोप है कि कंपनी प्रबंधन द्वारा बिना किसी उचित कारण के दवा प्रतिनिधियों का स्थानांतरण, वेतन में कटौती और पिछले चार वर्षों से वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इसके अलावा श्रम कानूनों (लेबर लॉ) का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन किया जा रहा है। इन मुद्दों को लेकर पूरे देश में फ्रैंको इंडियन के दवा प्रतिनिधि एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
रायपुर सहित पूरे प्रदेश में कंपनी के वर्कर दो दिन के लिए काम बंद कर हड़ताल पर हैं। हड़ताल के दूसरे दिन, 22 मई को दुर्ग में कंपनी के सी एंड एफ (कैरी एंड फॉरवर्ड) कार्यालय के समक्ष दवा प्रतिनिधि धरना और प्रदर्शन करेंगे।
दवा प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार और कॉरपोरेट गठजोड़ की नीतियों के कारण उनके हितों पर लगातार कुठाराघात हो रहा है। एक दवा प्रतिनिधि ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमारी मेहनत से कंपनी ने देश भर में अपनी पहचान बनाई, लेकिन प्रबंधन हमारी मांगों को अनसुना कर रहा है। स्थानांतरण और वेतन कटौती के साथ-साथ पिछले चार सालों से कोई वेतन वृद्धि नहीं हुई, जो हमारे परिवारों के लिए आर्थिक संकट का कारण बन रहा है।”
कंपनी प्रबंधन ने अभी तक इस हड़ताल और कर्मचारियों की मांगों पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। दूसरी ओर, दवा प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे भविष्य में और सख्त कदम उठा सकते हैं।
रायपुर और दुर्ग में होने वाले धरना-प्रदर्शन के दौरान स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं, ताकि प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे। इस हड़ताल से दवा आपूर्ति पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है, जिसका प्रभाव आम जनता पर पड़ सकता है।