नई दिल्ली। (Military installation in Golden Temple) स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए ब्लैकआउट के समय मिलिट्री इंस्टॉलेशन किए जाने का दावा झूठा निकला है। सैन्य अधिकारी के दावे पर सेना और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इसे असत्य करार दिया है। ‘द लेंस’ से बातचीत में एसजीपीसी के सचिव सतबीर सिंह ने कहा कि मेजर जनरल के दावे में तनिक भी सच्चाई नहीं है। यह सूचना मिलते ही हमने तत्काल इसका खंडन किया और अब सेना का भी इस पर बयान आ गया है।
ब्लैकआउट के दौरान किया गया था दावा
यह सारा विवाद तब शुरू हुआ जब भारतीय सेना के वायु रक्षा महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने एक न्यूज एजेंसी ANI को दिए गए एक साक्षात्कार में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वर्ण मंदिर परिसर में एयर डिफेंस गन इंस्टॉल करने का दावा किया था।
इस मामले में सेना को भी ऐसे किसी इंस्टॉलेशन का खंडन करना पड़ा है। यह खंडन तब आया जब देश के तमाम मीडिया आउटलेट्स ने जनरल सुमेर इवान द्वारा न्यूज एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू को पूरे देश में प्रसारित कर दिया था।
डी’कुन्हा ने साक्षात्कार में कहा, “स्वर्ण मंदिर के अधिकारियों को जब यह बताया गया कि वहां संभवतः कोई खतरा है, तो उन्होंने महसूस किया। उन्होंने हमें बंदूकें तैनात करने की अनुमति दी… लाइटें बंद कर दी गईं ताकि हम ड्रोन को आते हुए स्पष्ट रूप से देख सकें।”
सेना का खंडन
भारतीय सेना ने अपने बयान में कहा है कि स्वर्ण मंदिर में एडी गन की तैनाती के संबंध में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स प्रसारित हो रही हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि श्री दरबार साहिब, अमृतसर (स्वर्ण मंदिर) के परिसर में कोई एडी गन या कोई अन्य एडी संसाधन तैनात नहीं किया गया था।
सिख धर्मगुरुओं ने भी किया खंडन
स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वे विदेश में थे और किसी भी सैन्य अधिकारी ने उनसे संपर्क नहीं किया। उन्होंने कहा कि अगर एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) का कोई सदस्य इसमें शामिल था, तो कमेटी जांच करेगी और कार्रवाई करेगी।
वहीं, दरबार साहिब के रिटायर्ड रागी सुरिंदर सिंह ने ‘द लेंस’ को बताया कि सरकार अपने नंबर बढ़ाने की कोशिश कर रही है। हरमिंदर साहब हर धर्म, हर देश के हैं, सब जगह उनका सम्मान है। पाकिस्तान कभी गलत इरादे की जुर्रत नहीं कर सकता।
अतिरिक्त मुख्य पुजारी ज्ञानी अमरजीत सिंह ने भी डी’कुन्हा के दावे का खंडन किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि मंदिर की लाइटें अमृतसर जिला प्रशासन द्वारा जारी ब्लैकआउट निर्देशों के अनुसार बंद की गई थीं – किसी सैन्य तैनाती के कारण नहीं। ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में किया गया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी।