नई दिल्ली। (Doctor Death arrested) दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कुख्यात सीरियल किलर देवेंद्र शर्मा, जिसे ‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से जाना जाता है, को राजस्थान के दौसा जिले से गिरफ्तार किया है। 67 वर्षीय यह अपराधी जो कभी आयुर्वेदिक चिकित्सा का अभ्यास करता था 50 से अधिक मर्डर और 125 किडनियों की चोरी जैसे संगीन अपराधों में शामिल रहा है।
देवेंद्र शर्मा अगस्त 2023 में तिहाड़ जेल से दो महीने की पैरोल पर रिहा होने के बाद फरार हो गया था और दौसा के एक आश्रम में पुजारी के भेष में छिपा हुआ था। पुलिस ने छह महीने तक अलीगढ़, जयपुर, दिल्ली, आगरा और प्रयागराज में इसकी तलाश की। अंतत गुप्त सूत्रों की मदद से पुलिस ने शर्मा को दौसा के आश्रम में ट्रैक किया।
पुलिस टीम से ही एक ने आश्रम में अनुयायी बनकर शर्मा पर नजर रखी। मरीज बनकर उससे संपर्क किया और उसकी पहचान की पुष्टि होने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में शर्मा ने अपने अपराध और पैरोल जंप करने की बात कबूल की। उसने बताया कि वह दोबारा जेल नहीं लौटना चाहता था, इसलिए उसने पुजारी के भेष में छिपने की योजना बनाई थी। यह पहली बार नहीं है जब शर्मा पैरोल का दुरुपयोग कर फरार हुआ हो। 2020 में भी वह 20 दिन की पैरोल के बाद सात महीने तक फरार रहा था, जिसके बाद उसे दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था।
कौन है देवेंद्र शर्मा ऊर्फ डॉक्टर डेथ
देवेंद्र शर्मा, मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के छर्रा थाना क्षेत्र के पुरैनी गांव का निवासी है। उसने 1984 में बिहार से बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (BAMS) की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उसने राजस्थान के बांदीकुई में ‘जनता क्लिनिक’ नाम से एक आयुर्वेदिक क्लिनिक शुरू किया। हालांकि 11 साल की प्रैक्टिस के बाद भी उसकी कमाई संतोषजनक नहीं थी, जिसके कारण उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा।
Doctor Death arrested : गैस एजेंसी घोटाला और अपराध की शुरुआत
1994 में शर्मा ने एक गैस एजेंसी डीलरशिप में 11 लाख रुपये का निवेश किया, लेकिन धोखाधड़ी के कारण उसे भारी नुकसान हुआ। इस नुकसान से उबरने के लिए उसने अलीगढ़ में एक फर्जी गैस एजेंसी शुरू की और तेल कंपनियों के ट्रकों को लूटना शुरू किया। यहीं से उसका आपराधिक सफर शुरू हुआ।
शर्मा के अपराधों का खुलासा होने के बाद 2004 में उसकी पत्नी और बच्चों ने उसे छोड़ दिया। उसका एक बेटा स्विट्जरलैंड में और दूसरा केरल में नौकरी करता है। शर्मा ने अपराध की दुनिया में उतरने के बाद कई परिवारों को बर्बाद किया और खुद भी सामाजिक रूप से अलग-थलग हो गया।
अवैध किडनी तस्करी रैकेट
1998 से 2004 के बीच शर्मा ने एक अन्य डॉक्टर, अमित के साथ मिलकर दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में एक अवैध किडनी तस्करी रैकेट चलाया। उसने पुलिस के सामने कबूल किया कि उसने 125 से अधिक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट में मध्यस्थ की भूमिका निभाई, जिसके लिए उसे प्रति केस 5 से 7 लाख रुपये मिलते थे। इस रैकेट ने उसे अपराध की दुनिया में एक बड़ा नाम बना दिया।
टैक्सी और ट्रक ड्राइवरों की हत्याएं
शर्मा का सबसे खौफनाक अपराध था टैक्सी और ट्रक ड्राइवरों की हत्या। 2002 से 2004 के बीच, उसने अपने गिरोह के साथ मिलकर फर्जी यात्राओं के बहाने ड्राइवरों को बुलाया, उनकी हत्या की और उनकी गाड़ियों को कबाड़ मार्केट में 20-25 हजार रुपये में बेच दिया।
सबूत मिटाने के लिए, वह शवों को उत्तर प्रदेश के कासगंज में हजारा नहर में फेंक देता था, जहां मगरमच्छ शवों को खा जाते थे। शर्मा ने कबूल किया कि उसने 50 से अधिक हत्याएं कीं, लेकिन 50 के बाद उसे गिनती याद नहीं रही। पुलिस का अनुमान है कि वह 100 से अधिक हत्याओं में शामिल हो सकता है, हालांकि सटीक संख्या की पुष्टि नहीं हो सकी है।
सजा और पैरोल का दुरुपयोग
2004 में शर्मा को किडनी रैकेट और सीरियल किलिंग के मामलों में गिरफ्तार किया गया। दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा की अदालतों ने उसे सात हत्या के मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई, जबकि गुरुग्राम की एक अदालत ने एक मामले में उसे फांसी की सजा दी। इसके बावजूद, शर्मा ने दो बार पैरोल का दुरुपयोग किया। 2020 में 20 दिन की पैरोल के बाद सात महीने तक फरार रहा। फिर दो महीने की पैरोल के बाद 3 अगस्त, 2023 से फरार था।
छह महीने तक सर्च ऑपरेशन मीडिया खबरों के मुताबिक दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने शर्मा की तलाश में छह महीने तक अलीगढ़, जयपुर, दिल्ली, आगरा और प्रयागराज में सर्च ऑपरेशन चलाया। डीसीपी (क्राइम ब्रांच) आदित्य गौतम के नेतृत्व में टीम ने दौसा में एक सप्ताह तक आश्रम की निगरानी की। शर्मा की लोकेशन का पता तब चला जब उसका मोबाइल दौसा में रिचार्ज कराया गया। पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए अनुयायी बनकर आश्रम में प्रवेश किया और उसकी पहचान पुख्ता करने के बाद गिरफ्तार कर लिया।