रायपुर। बस्तर में चित्रकोट के सरपंच और ग्रामीणों के खिलाफ एफआईआर की गई है। एफआईआर के बाद ग्रामीणों का आरोप है कि कथित रूप से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के रिश्तेदारों को एसडीएम के बोलने पर खाने की व्यवस्था नहीं करने पर यह एफआईआर कराई गई है। हालांकि प्रशासन का कहना है कि सरपंच और ग्रामीणों पर कार्रवाई कानून सम्मत की गई है।
इस पूरे मामले को लेकर thelens.in ने जगदलपुर कलेक्टर एस हरीश, जगदलपुर एसएसपी शलभ सिन्हा और सरपंच भंवर मौर्य से अलग–अलग बात की है।
पूरा मामला दिलचस्प है और कांग्रेस के आरोपों के इर्द–गिर्द है। जिस सरपंच पर एफआईआर दर्ज हुई है वो भी कांग्रेस पार्टी से जुड़े बताए जा रहे हैं।

सरपंच भंवर मौर्य का आरोप है कि अधिकारियों ने उन्हें चित्रकोट घूमने आए मुख्यमंत्री के करीबी रिश्तेदारों के लिए खाने–पीने का इंतजाम करने के लिए कहा था। उन्होंने ऐसा नहीं किया इसलिए उन पर एफआईआर दर्ज कर दी गई!
उनके मुताबिक यह 15 मई की घटना है। भंवर मौर्य इस मामले में जगदलपुर एसडीएम नीतीश वर्मा का नाम ले रहे हैं। उनका कहना है कि एसडीएम ने लोहंडीगुड़ा गांव के कोटवार के जरिए यह संदेश उस समिति को, जो वहां पार्किंग का ठेका संभालती है, भेजा था। जवाब में उन्होंने (भंवर मौर्य ने ) लिखित में ऐसा करने का आदेश मांगा था।
मौर्य का कहना है कि इसके कुछ घंटों बाद ही एसडीएम नितीश वर्मा की तरफ से समिति के अध्यक्ष और सरपंच को कारण बताओ नोटिस जारी पूछा जाता है, ‘नाका समिति प्रत्येक वाहन से जो रकम वसूल रही है, उसे अभी तक किसी सक्षम प्राधिकारी ने अधिकृत नहीं किया है। यह आर्थिक अनियमितता है। 3 दिन के भीतर कारण बताएं?’

इसके तीन दिन बाद एसडीएम ने नाका बंद करने का आदेश दे दिया।
श्री मौर्य कहते हैं कि इस आदेश के खिलाफ सरपंच और ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। चित्रकोट मार्ग पर करीब 3 घंटे तक धरना दिया। इस दौरान चित्रकोट घूमने आए पर्यटक भी परेशान हुए। इसके बाद प्रशासन की तरफ से लोहंडीगुड़ा थाने में प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया।
इस एफआईआर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने मंगलवार को सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंता का विषय है कि अधिकारी सत्तारूढ़ दल के नेताओं और शासकीय अधिकारियों की खातिरदारी करने के लिये ग्रामीणों पर दबाव बनाते हैं। अगर ग्रामीणों की तरफ से मना कर दिया जाता है तो झूठा एफआईआर दर्ज करवाते हैं। खाने की व्यवस्था करने के एसडीएम के फरमान को मानने से समिति और सरपंच ने इंकार कर दिया तो एसडीएम ने नोटिस दे कर नाका बंद करने का निर्देश दे दिया, जबकि पार्किंग नाका चलाना ग्राम पंचायत का अधिकार है। विगत 10 सालों से इसे ग्राम पंचायत और उनकी समिति संचालित कर रही है।
नोटिस मिलने के बाद सरपंच और ग्रामीणों ने कड़ा विरोध प्रदर्शन किया तो उनके खिलाफ एफआईआर कर दी गई।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री को अपने रिश्तेदारों की खातिर करवानी ही थी तो राज्य सरकार के सत्कार मद से करवा लेते।
दीपक बैज कहते हैं, ‘चित्रकोट मेरा विधानसभा क्षेत्र, लोकसभा क्षेत्र है। वहां एक आदिवासी सरपंच को इस तरह अधिकारियों का प्रताड़ित करना उचित नहीं है।’
इस मामले में कलेक्टर एस हरीश ने thelens.in से कहा कि एफआईआर के बाद सरपंच इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। ग्राम सभा का प्रस्ताव दिखाकर नई समिति को जिम्मेदारी दी गई। पिछले प्रस्ताव के दस्तावेज गलत थे। समिति के खिलाफ वित्तीय अनियमितता की शिकायतें भी थीं। इसी वजह से नाका बंद किया गया है। नए सिरे से ग्राम सभा के प्रस्ताव के बाद इसका संचालन नई समिति करेगी।
जगदलपुर एसएसपी शलभ सिन्हा ने thelens.in से कहा कि सड़क पर धरना प्रदर्शन करने और आवागमन प्रभावित करने की वजह से एफआईआर की गई है। प्रशासन के प्रतिवेदन के आधार पर यह एफआईआर की गई है।