नेशनल ब्यूरो। दिल्ली
लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता और वकील बानू मुश्ताक की लघु कहानी संग्रह ‘हार्ट लैंप’ मंगलवार रात लंदन में प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली कन्नड़ पुस्तक बन गई। मुश्ताक ने अपनी जीत को विविधता की जीत बताया। गौरतलब हैं कि मुश्ताक वही महिला हैं जिन्होंने मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश को लेकर आवाज उठाई थी जिसके बाद उन्हें तीन महीने का सोशल बॉयकॉट झेलना पड़ा था।
बानू जलने मंगलवार को टेट मॉडर्न में एक समारोह में अपनी अनुवादक दीपा भस्थी के साथ पुरस्कार ग्रहण किया, जिन्होंने पुस्तक का कन्नड़ से अंग्रेजी में अनुवाद किया था। छह विश्वव्यापी शीर्षकों में से शॉर्टलिस्ट की गई, मुश्ताक की कृति ने पारिवारिक और सामुदायिक तनावों को चित्रित करने की अपनी “मजाकिया, मार्मिक और कटु” शैली के लिए निर्णायकों को आकर्षित किया।
मुश्ताक ने कहा, “यह पुस्तक इस विश्वास से जन्मी है कि कोई भी कहानी कभी छोटी नहीं होती, मानव अनुभव के ताने-बाने में हर धागा समग्रता का भाव रखता है।” उन्होंने कहा, “ऐसी दुनिया में जो अक्सर हमें विभाजित करने की कोशिश करती है, साहित्य एक ऐसी पवित्र जगह है जहां हम एक-दूसरे के मन में रह सकते हैं, भले ही कुछ पन्नों के लिए।”