[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
68 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी मामले में अनिल अंबानी के सहयोगी पर शिकंजा
टीवी डिबेट के दौरान वाल्मीकि पर टिप्पणी को लेकर पत्रकार अंजना ओम कश्यप और अरुण पुरी पर मुकदमा
बिहार चुनाव में नामांकन शुरू लेकिन महागठबंधन और NDA में सीट बंटवारे पर घमासान जारी
क्या है ननकी राम कंवर का नया सनसनी खेज आरोप?
EOW अफसरों पर धारा-164 के नाम पर कूटरचना का आरोप, कोर्ट ने एजेंसी चीफ सहित 3 को जारी किया नोटिस
रायपुर रेलवे स्टेशन पर लाइसेंसी कुलियों का धरना खत्म, DRM ने मानी मांगे, बैटरी कार में नहीं ढोया जाएगा लगेज
तालिबान के दबाव में विदेश मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री बैन
छत्तीसगढ़ संवाद के दफ्तर में झूमाझटकी, मामला पुलिस तक
काबुल में पाकिस्‍तान की एयर स्‍ट्राइक से क्‍यों चौकन्‍ना हुआ चीन, जारी की सुरक्षा चेतावनी
नक्सलियों के आईईडी ने फिर ली मासूम की जान
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
अन्‍य राज्‍य

खगोलशास्त्री जयंत विष्णु नार्लीकर का निधन, खामोश हो गई विज्ञान को सरल भाषा में समझाने वाली आवाज

Lens News Network
Last updated: May 20, 2025 8:03 pm
Lens News Network
ByLens News Network
Follow:
Share
JAYANT NARLIKAR PASSES AWAY
SHARE
The Lens को अपना न्यूज सोर्स बनाएं


पुणे। प्रख्यात खगोलशास्त्री, विज्ञान लेखक और शिक्षाविद प्रोफेसर जयंत विष्णु नार्लीकर का आज पुणे में उनके निवास पर 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मीडिया खबरों के अनुसार, डॉ. नार्लीकर ने देर रात नींद में ही अंतिम सांस ली। हाल ही में उनके कूल्हे की सर्जरी हुई थी और वह स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से जूझ रहे थे। उनके निधन से भारतीय विज्ञान और साहित्य जगत में शून्य पैदा हो गया है।

खबर में खास
बीएचयू से शुरू किया विज्ञान का सफरखगोल विज्ञान में योगदानविज्ञान संचार और साहित्य

प्रो. नार्लीकर ने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय योगदान दिया और विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्‍हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

प्रो. नार्लीकर ने 2021 में नासिक में आयोजित अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता की थी। उन्होंने पुणे में ‘आयुका’ (आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान) की स्थापना की, जो खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी में एक अग्रणी संस्थान के रूप में जाना जाता है।

प्रो. नार्लीकर ने वाराणसी में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और बाद में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी हासिल की। उन्होंने अपने पिता की तरह रैंगलर की उपाधि प्राप्त की और खगोल विज्ञान में टायसन पदक भी जीता। उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), मुंबई के खगोल विज्ञान विभाग का नेतृत्व किया और ‘आयुका’ के निदेशक के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में प्रो. नार्लीकर का योगदान अतुलनीय रहा। उन्होंने मराठी में कई विज्ञान कथाएं लिखीं, जो बच्चों और युवाओं में वैज्ञानिक जिज्ञासा जगाने में सफल रहीं। उनकी किताबें जटिल वैज्ञानिक अवधारणाओं को सरल और रोचक ढंग से प्रस्तुत करने के लिए जानी जाती हैं।

बीएचयू से शुरू किया विज्ञान का सफर

जयंत विष्णु नार्लीकर का जन्म 19 जुलाई 1938 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। उनके पिता, विष्णु वासुदेव नार्लीकर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में गणित के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष थे, जबकि उनकी माता, सुमति नार्लीकर संस्कृत की जानकार थीं। नार्लीकर की प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी के सेंट्रल हिंदू बॉयज स्कूल में हुई और उन्होंने 1957 में बीएचयू से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने गणित में पीएचडी पूरी की और खगोलशास्त्र व खगोल भौतिकी में विशेषज्ञता हासिल की।

कैंब्रिज में उनकी प्रतिभा को जल्द ही पहचान मिली। उन्हें ‘मैथमैटिकल ट्रिपोस’ में ‘रैंगलर’ और ‘टायसन मेडल’ जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए। 1963 से 1972 तक वह कैंब्रिज के किंग्स कॉलेज के फेलो रहे और 1966 से 1972 तक इंस्टीट्यूट ऑफ थियोरेटिकल एस्ट्रोनॉमी के संस्थापक सदस्य के रूप में कार्य किया।

1970 के दशक में भारत लौटने के बाद, नार्लीकर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से जुड़े, जहां उन्होंने सैद्धांतिक खगोल भौतिकी समूह का नेतृत्व किया। 1988 में, उन्होंने पुणे में अंतर-विश्वविद्यालय खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी केंद्र की स्थापना की और इसके पहले निदेशक के रूप में 2003 तक सेवा की।

खगोल विज्ञान में योगदान

प्रो. नार्लीकर को ब्रह्मांड विज्ञान (कॉस्मोलॉजी) में उनके अग्रणी योगदान के लिए विश्व स्तर पर जाना जाता है। उन्होंने प्रसिद्ध ब्रिटिश खगोलशास्त्री सर फ्रेड हॉयल के साथ मिलकर ‘हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत’ प्रतिपादित किया, जो आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत और माक के सिद्धांत को जोड़ता है। यह सिद्धांत यह प्रस्तावित करता है कि किसी कण का जड़त्वीय द्रव्यमान (inertial mass) अन्य सभी कणों के द्रव्यमान और ब्रह्मांडीय युग के आधार पर निर्भर करता है।

नार्लीकर ‘स्थिर अवस्था सिद्धांत’ (Steady State Theory) के प्रबल समर्थक थे, जो बिग बैंग सिद्धांत का विकल्प प्रस्तुत करता है। इस सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्मांड का कोई प्रारंभ या अंत नहीं है, और यह निरंतर विस्तार और पदार्थ सृजन के माध्यम से स्थिर रहता है। उनके इस कार्य ने विश्व स्तर पर खगोल वैज्ञानिकों के बीच व्यापक चर्चा को जन्म दिया।

इसके अलावा, नार्लीकर ने गुरुत्वाकर्षण, क्वांटम कॉस्मोलॉजी, और कॉन्फॉर्मल ग्रैविटी थियरी जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण शोध किए। उनके कार्य ने खगोल भौतिकी के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए और भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाया।

विज्ञान संचार और साहित्य

डॉ. नार्लीकर केवल एक वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि लेखक भी थे। उन्होंने अंग्रेजी, हिंदी, और मराठी में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए अनेक पुस्तकें लिखीं। उनकी पुस्तकें, जैसे धूमकेतु (हिंदी में विज्ञान कथाओं का संग्रह) और द रिटर्न ऑफ वामन (विज्ञान आधारित उपन्यास), सरल भाषा में जटिल वैज्ञानिक अवधारणाओं को समझाने के लिए जानी जाती हैं। उनकी आत्मकथा, चार नगरातले माझे विश्व (मराठी), ने 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता।

नार्लीकर ने विज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए दूरदर्शन और रेडियो पर कई कार्यक्रमों में भाग लिया। वह अंधश्रद्धा निर्मूलन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के प्रबल समर्थक थे। उनकी यह मान्यता थी कि समाज को पुरानी मान्यताओं से बाहर निकालने के लिए वैज्ञानिक सोच आवश्यक है।

TAGGED:astronomerJAYANT NARLIKARJayant Vishnu NarlikarTop_News
Previous Article Chhagan Bhujbal News मंत्री बनते ही छगन भुजबल ने ये क्‍यों कहा- अंत भला तो सब भला
Next Article WHO FUND ISSUE क्या दुनिया की सेहत संकट में है ? WHO की फंडिंग में कमी साजिश या राजनीति ?
Lens poster

Popular Posts

दहेज के चलते बेटे के सामने ही पत्नी को जिंदा जलाया, पति हिरासत में

लेंस डेस्क। ग्रेटर नोएडा के कासना कोतवाली क्षेत्र के सिरसा गांव में एक दिल दहलाने…

By पूनम ऋतु सेन

ओलों के बीच फंसी इंडिगो की फ्लाइट, नोज टूटा,  227 यात्रियों के साथ सुरक्षित लैंडिंग

श्रीनगर। दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की फ्लाइट 6E2142 (रेजिस्ट्री VT-IMD) को मंगलवार शाम…

By Lens News Network

कभी था रुतबा… आज आरोपी बनकर कचहरी पहुंचे तीन रिटायर्ड IAS अफसर

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के जिला कचहरी परिसर में आज एक दिलचस्प नजारा देखने…

By दानिश अनवर

You Might Also Like

Dog Bite
छत्तीसगढ़

मां- बेटे ने कुत्ते को काबू में रखने को कहा, तो मालिक ने छोड़ दिए 25 कुत्ते

By नितिन मिश्रा
Chhattisgarh Coal Levy Case
छत्तीसगढ़

आबकारी घोटाला मामला : EOW की बड़ी कार्रवाई… रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर में कई शराब कारोबारियों के ठिकानों पर दबिश

By पूनम ऋतु सेन
Kashmiri Students
देश

पहलगाम के बाद निशाने पर कश्‍मीरी छात्र, JKSA ने लगाया आरोप

By Lens News
KAMAL HAASAN
देशस्क्रीन

कन्नड़ भाषा पर टिप्पणी न करें कमल हासन : बेंगलुरु कोर्ट

By Lens News

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?