द लेंस डेस्क। (CJI) Justice BR Gavai: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई ने महाराष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रोटोकॉल का पालन न करने पर फटकार लगाई है। CJI के रूप में अपनी पहली महाराष्ट्र यात्रा के दौरान, मुंबई में एक समारोह में उन्होंने कहा कि राज्य के बड़े अधिकारियों को उनके स्वागत के लिए मौजूद रहना चाहिए था। यह बयान रविवार को मुंबई में आयोजित एक सम्मान समारोह के दौरान आया, जहां जस्टिस गवई ने अपनी नाराजगी जाहिर की।
क्या बोले CJI गवई
जस्टिस गवई ने कहा, “मैं देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पहली बार महाराष्ट्र आया हूं। यह मेरा गृह राज्य है, और मैंने चैत्यभूमि जाकर बाबासाहेब आंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। लेकिन मुझे इस बात से निराशा हुई कि महाराष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी, जैसे मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (DGP), और पुलिस आयुक्त, प्रोटोकॉल का पालन करते हुए इस अवसर पर उपस्थित नहीं थे।” उन्होंने जोर देकर कहा कि न्यायपालिका, विधायिका, और कार्यपालिका लोकतंत्र के तीन स्तंभ हैं, और इन सभी को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।
बाबा साहेब को दी श्रद्धाजंलि
जस्टिस गवई ने अपनी यात्रा की शुरुआत मुंबई में चैत्यभूमि से की, जहां उन्होंने संविधान निर्माता डॉ. बी.आर. आंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, “चैत्यभूमि मेरे लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत है।” गवई, जो पहले बौद्ध और दूसरे दलित CJI हैं, उन्होंने इस अवसर पर अपनी सामाजिक और आध्यात्मिक जड़ों को याद किया।
प्रोटोकॉल पर जोर
(CJI) Justice BR Gavai: CJI ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि प्रोटोकॉल का पालन न केवल औपचारिकता है, बल्कि यह लोकतांत्रिक संस्थानों के बीच आपसी सम्मान का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “अगर मैं पहली बार अपने गृह राज्य में आ रहा हूं, तो यह अपेक्षा की जाती है कि राज्य के शीर्ष अधिकारी मौजूद रहें। यह सम्मान का विषय है, जो कार्यपालिका को न्यायपालिका के प्रति दिखाना चाहिए।”
सम्मान समारोह में पहुंचे थे CJI
मुंबई में बार काउंसिल और अन्य संगठनों द्वारा आयोजित इस समारोह में जस्टिस गवई का स्वागत किया गया। इस दौरान लगभग 400 वकील महाराष्ट्र से उन्हें सम्मानित करने के लिए उपस्थित थे। जस्टिस गवई ने इस अवसर पर न केवल प्रोटोकॉल के महत्व पर बल्कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि न्यायिक रिक्तियों को भरने और लंबित मामलों को कम करने के लिए दोनों को मिलकर काम करना होगा।
जस्टिस गवई का सफर
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई, जो 14 मई 2025 को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने, महाराष्ट्र के अमरावती से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने 1985 में वकालत शुरू की और बॉम्बे हाईकोर्ट में सरकारी वकील और लोक अभियोजक के रूप में काम किया। 2003 में वे बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज बने और 2005 में स्थायी जज। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने और अब CJI के रूप में अपनी छह महीने की अवधि में कई महत्वपूर्ण फैसले ले चुके हैं, जिसमें पुणे में 1998 के अवैध भूमि हस्तांतरण को रद्द करना शामिल है।