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सरोकार

अब लैला कबीर नहीं लौटेंगी

Editorial Board
Last updated: May 18, 2025 3:13 pm
Editorial Board
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चंचल, राजनीतिक विश्लेषक, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, सुप्रसिद्ध पेंटर और पूर्व रेलमंत्री जार्ज फर्नांडिस के निजी सचिव



सही नाम लईला कबीर था , लेकिन लोग लैला ही बोलते हैं । लैला में जांचने परखने की अद्भुत क्षमता थी और इस क्षमता से भी ज्यादा उनमें निर्णय लेने का हुनर था , एक बार अगर वे निर्णय तक पहुँच गई तो उससे शिद्दत के साथ जीती थी । इसके अनगिनत उदाहरण हैं , एक नहीं , अनेक उदाहरण हैं जो उनके जीवन के साथ चले और वही उनकी अपनी शख्सियत बन गई । लैला अब नहीं हैं, लैला की अनुपस्थिति, लैला के साथ साथ जार्ज को याद करने की भी एक वजह बन गई हैं।

एक मजेदार उदाहरण है उनका जॉर्ज ( फर्नांडिस ) के साथ शादी करने का ।
लैला की पैदाइश और परवरिश उच्च श्रेणी के कुलीन घराने में हुई थी । लैला के पिता हुमायूँ कबीर बंगाली शेख परिवार से थे , अच्छे शिक्षाविद , उच्च आदर्श के हामी थे , पंडित नेहरू की कैबिनेट में शिक्षा मंत्री थे । लैलाकी माँ शांति देवी हिंदू परिवार से थी और कई स्वयंसेवी संस्थाओं की संस्थापिका रही । लैला की शिक्षा विदेश में हुई थी । इस लैला ने देश के मशहूर मज़दूर नेता , समाजवादी आंदोलन के अगली कतार में खड़े फ़ायर ब्रांड नेता को अपना पति बना लिया । कुल दो घने के सफ़र में । हुआ यूँ कि ७१ का वाक़या है , तब तक जार्ज अपनी बुलंदी पर पहुँच चुके थे , ६७ के आम चुनावमे जार्ज महाराष्ट्र के कद्दावर नेता एस के पाटिल को बंबई से हराकर जाइंट किलर बन चुके थे । ७१ भारतीय राजनीति में उथलपुथल का काल था । एक दिन जार्ज कलकत्ते से दिल्ली आ रहे थे यही एयरपोर्ट पर जार्ज की मुलाकात लैला से हुई , उस समय लैला भारत में रेडक्रास सोसाइटीकी बड़ी अधिकारी थी । दोनों प्लेन से एक साथ , अगल बगल की सीट पर , बैठे , बतियाते हुए दिल्ली तक का सफ़र तय किया । इसी सफर में दिनों में मोहब्बत हो गई और तीन महीने अंदर दोनों शादी के बंधन में बंध गए । दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एक सादे समारोह में शादी हुई , इस शादी में श्रीमती इंदिरा गांधी भी पहुंची थी । इन दोनों से एक बेटा है सानू ( सुशांतो कबीर फर्नांडिस ) ।
७४ में जब जार्ज ने रेल हड़ताल की , यह देश नहीं दुनिया की सदर बड़ा आंदोलन था । हड़ताली कर्मचारियों पर हो रहे जुल्म और ज़्यादती केखिलाफ लैला लगातार कर्मचारियों की मद्द इमदाद करती रही । ७५ में लगे आपातकाल के समय जार्ज अपनी ससुराल गोपालपुर में ठेका रात को ही टेलीफ़ोन एक्सचेंज के एक कर्मचारी ने जार्ज को सूचित कर दिया कि देश में आपातकाल लग गया है और किसी भी समय आपकी गिरफ़्तारी हो सकती है । जॉर्ज रातो रात फ़रार हो गए और आपातकाल से लड़ने के लिए बगैर कोई हिंसक वारदात के बदले सरकारी संसाधनों को नष्ट करने के लिए जो योजना बनाई वह “ डाइनामाइट कांड “ के नाम से जाना जाता है । लंबी फरारी के बाद जॉर्ज कलकत्ता में गिरफ्तार हो गए । लैला जार्ज की गिरफ़्तारी के बाद फ़रार हो गईं और पहुँच गई पश्चिमी देशों में जंडबाव बना शुरू कर दिया । ७७ मेकांग्रेस हारी और लैला वापस देश आई।

TAGGED:dynamiteGeorge Fernandeslaila kabirpolitical expert
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