द लेंस डेस्क। भारतीय राजनीति और समाजवादी आंदोलन से जुड़ी एक प्रख्यात शख्सियत, लैला कबीर फर्नांडिस का 16 मई 2025 को निधन हो गया। 85 वर्षीय लैला कबीर, पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री और समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस की पत्नी थीं। वह नेहरू सरकार में शिक्षा मंत्री रहे हुमायूं कबीर की बेटी और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर की चचेरी बहन थीं। उनके निधन की खबर ने न केवल राजनीतिक और सामाजिक हलकों में शोक की लहर पैदा की है, बल्कि उन सभी लोगों के दिलों को छू लिया है, जो उनकी बुद्धिमत्ता, स्वाभिमान और सामाजिक योगदान से परिचित थे।
समाजिक कार्यों में रही सक्रिय भागीदारी
लैला कबीर का जन्म एक बौद्धिक और प्रगतिशील परिवार में हुआ था। उनके पिता हुमायूं कबीर एक प्रसिद्ध शिक्षाविद्, लेखक और राजनेता थे, जिन्होंने भारत की शिक्षा नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लैला ने इस विरासत को न केवल संभाला, बल्कि अपनी खुद की एक विशिष्ट पहचान बनाई। वह एक ऐसी महिला थीं, जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता, गरिमा और स्वतंत्र विचारधारा से समाज में एक अलग स्थान बनाया। वह कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों से जुड़ी रहीं और सामाजिक कार्यों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही।
जॉर्ज फर्नांडिस से हुई थी शादी
लैला कबीर का जॉर्ज फर्नांडिस से विवाह 1971 में हुआ था। जॉर्ज फर्नांडिस, जो भारतीय समाजवादी आंदोलन के दिग्गज और 1977 की रेल हड़ताल के नायक रहे, के साथ उनका रिश्ता न केवल व्यक्तिगत, बल्कि वैचारिक स्तर पर भी प्रेरणादायी था। हालांकि, बाद में वैचारिक और व्यक्तिगत मतभेदों के कारण दोनों अलग हो गए थे, लेकिन लैला ने हमेशा गरिमा और सम्मान के साथ अपनी जिंदगी जी। जॉर्ज फर्नांडिस के अंतिम दिनों में, जब वह बीमार थे, लैला ने उनकी देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी। जॉर्ज का निधन जनवरी 2019 में हुआ, और लैला ने उनके बाद भी सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया।
बिहार से गहरा नाता
लैला कबीर का बिहार से गहरा नाता रहा। जॉर्ज फर्नांडिस ने मुजफ्फरपुर और नालंदा से कई बार लोकसभा चुनाव जीता था, और लैला भी उनके साथ बिहार की सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल रही थीं। उनके निधन पर बिहार के कई नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शोक व्यक्त किया। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने शोक संदेश में कहा, “लैला जी का जाना समाजवादी आंदोलन और बिहार के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी बुद्धिमत्ता और संवेदनशीलता हमेशा प्रेरणा देगी।”
समाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
लैला कबीर का अंतिम संस्कार 16 मई को सुबह 11:30 बजे नई दिल्ली के ग्रीन पार्क श्मशान घाट में पूरे सम्मान के साथ संपन्न हुआ। उनके निधन पर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने सोशल मीडिया के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
लैला कबीर का जीवन और उनका योगदान भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा है। वह एक ऐसी शख्सियत थीं, जिन्होंने न केवल अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाया, बल्कि अपनी स्वतंत्र सोच और कार्यों से समाज में एक अमिट छाप छोड़ी। उनके निधन से भारतीय समाजवादी आंदोलन और उनके चाहने वालों को गहरा आघात पहुंचा है।