नेशनल ब्यूरो दिल्ली/ जिनेवा।
संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ ने गुरुवार को कहा कि वह उन “विश्वसनीय रिपोर्टों” की जांच कर रहे हैं जिनमें कहा गया है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को भारतीय नौसेना के जहाज से उतारकर अंडमान सागर में फेंक दिया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे बेशर्मी करार दिया है।
म्यांमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत टॉम एंड्रयूज ने कहा, “यह विचार कि रोहिंग्या शरणार्थियों को नौसेना के जहाजों से समुद्र में फेंक दिया गया है, अपमानजनक है। मैं इन घटनाक्रमों के संबंध में और अधिक जानकारी और साक्ष्य की मांग कर रहा हूं तथा भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह जो कुछ हुआ उसका पूरा विवरण उपलब्ध कराए।”
रोहिंग्या का सर्वाधिक पलायन बांग्लादेश में

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की तरफ से नियुक्त स्वतंत्र विशेषज्ञ एंड्रयूज ने कहा, “वह इस बात से बहुत चिंतित हैं कि यह उन लोगों के जीवन और सुरक्षा के प्रति घोर उपेक्षा प्रतीत होती है, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता है।” म्यांमार में बहुसंख्यक मुस्लिम रोहिंग्या लोगों पर दशकों से भारी अत्याचार हो रहे हैं। म्यांमार में 2017 की सैन्य कार्रवाई से बचकर भागकर आए दस लाख रोहिंग्या लोग बांग्लादेश में अनेक गंदे शिविरों में रह रहे हैं। हर साल हजारों लोग अन्यत्र शरण लेने के लिए लंबी समुद्री यात्राएं कर अपनी जान जोखिम में डालते हैं।
दिल्ली से उठाकर अंडमान ले जाने का दावा
एंड्रयूज के बयान में उन रिपोर्टों की ओर इशारा किया गया है जिनमें कहा गया है कि भारतीय अधिकारियों ने पिछले सप्ताह दिल्ली में रह रहे दर्जनों रोहिंग्या शरणार्थियों को हिरासत में लिया, “जिनमें से कई या सभी के पास शरणार्थी पहचान दस्तावेज थे।” उन्होंने बताया कि समूह के लगभग 40 सदस्यों की आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हें अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह ले जाया गया और फिर एक भारतीय नौसैनिक जहाज में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने कहा, “नाव के अंडमान सागर को पार करने के बाद, शरणार्थियों को कथित तौर पर जीवन रक्षक जैकेट पहना दिए गए, उन्हें जबरन समुद्र में उतारा गया और म्यांमार क्षेत्र के एक द्वीप तक तैरने के लिए मजबूर किया गया।” एंड्रयूज का कहना है कि 43 रोहिंग्या शरणार्थियों को अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में छोड़कर जबरन निर्वासित किया।
दोषियों को सजा की मांग
एंड्रयूज ने कहा, “ऐसी क्रूर कार्रवाई मानवीय मूल्यों का अपमान होगी और गैर-वापसी के सिद्धांत का गंभीर उल्लंघन होगी।” उन्होंने बताया कि “रोहिंग्या म्यांमार में हिंसा, उत्पीड़न और अन्य गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों का सामना कर रहे हैं।” एंड्रयूज ने कहा, “भारत सरकार को रोहिंग्या शरणार्थियों के खिलाफ किए गए अमानवीय कृत्यों को तुरंत और स्पष्ट रूप से अस्वीकार करना चाहिए, म्यांमार को सभी निर्वासनों को रोकना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के इन घोर उल्लंघनों के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए।”