नई दिल्ली। 14 मई को सुबह 11 बजे जब यह रिपोर्ट लिखी जा रही है तब सोशल मीडिया प्लेटफार्म X और गूगल पर न्यूक्लियर लीक टॉप ट्रेंड कर रहा है। खतरनाक यह है कि न्यूक्लियर लीक का यह दावा भारत-पाकिस्तान की जंग में 7 मई के बाद फैलाया गया सबसे बड़ा हॉक्स (ऐसा खतरनाक झूठ जो सच की तरह प्रस्तुत किया जाए) है।
सोशल मीडिया और मुख्यधारा की मीडिया के माध्यम से करोड़ों की संख्या में शेयर और वायरल की गई इस खबर में कहा गया है कि भारत द्वारा पाकिस्तान में किराना हिल की पहाड़ियों पर हमला बोलने से वहां के न्यूक्लियर इंस्टालेशन प्रभावित हुए हैं और वहां से रेडियोएक्टिव मैटेरियल लीक हुए हैं।

प्रभावितों की फर्जी तस्वीरें भी जारी
इस हॉक्स की गहराई का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि कुछ लोगों ने तो रेडियोएक्टिविटी से प्रभावितों की तस्वीरें भी जारी कर दी हैं। यह तस्वीरें भी फर्जी साबित हुई हैं। द लेंस ने जब इस खबर को लेकर पड़ताल शुरू की तो चौंकाने वाली बात यह निकली कि इस झूठ को फैलाने में सेना के कुछ पूर्व अधिकारियों का भी हाथ रहा है उनके विडियोज लेंस के पास मौजूद हैं।
सेना के अलावा आइएईए का भी लीकेज से इनकार
भारतीय सेना ने किराना की पहाड़ियों में किसी भी किस्म के हमले से तो इंकार किया ही है। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एसोशिएशन ने भी किराना की पहाड़ियों में किसी प्रकार के लीकेज की घटना से साफ इनकार किया है। डीजीएमओ एयर मार्शल ए के भाटी ने पत्रकारों को यहां तक कहा कि हमें आपसे जानकारी मिली है कि वहां पर न्यूक्लियर इंस्टॉलेशन मौजूद हैं।
आईटी सेल और पाकिस्तान ने पैदा किया भ्रम

इस झूठ को लेकर चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इसे दक्षिणपंथी आईटी सेल के तमाम लोगों के साथ साथ पाकिस्तान और अमेरिका से संचालित कई हैंडल प्रसारित कर रहे हैं। द लेंस ने अपनी तहकीकात में पाया कि यह हॉक्स किस कदर बड़ा है कि इसमें हजारों की संख्या में वीडियो, डाटा और तो और पाकिस्तान सरकार द्वारा कथित तौर पर जारी फर्जी चिट्ठियां तक सामने आई हैं। गजब यह है कि एक चिट्ठी हिंदी में लिखी हुई है।

गैरमौजूद विभाग गुमनाम अधिकारी
एक फर्जी गोपनीय चिट्ठी पाकिस्तान सरकार की ओर से एनआरएसडी निदेशक इंजीनियर असद अहमद रफीक की ओर से जारी की गई, जिसमें किराना हिल से रेडियोएक्टिव मैटेरियल के लीक होने की बात कही गई। जबकि जांच में न तो उक्त नाम का कोई विभाग न उक्त नाम का कोई अधिकारी न प्रेषित किए गए विभाग की कोई वेबसाइट मिली। अब X ने भी इस फर्जी चिट्ठी को लगाने वालों की पोस्ट के आगे रीडर्स एडेड कंटेंट का टैग लगा दिया है। भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी मेजर जनरल राजीव नारायणन का एक वीडियो भी प्राप्त हुआ है जिसमें वो न्यूक्लियर साइट पर भारतीय सेना के द्वारा स्ट्राइक की बात कह रहे हैं।
इस हॉक्स को फैलाने के पीछे क्या है
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फॉक्स को फैलाने की सबसे बड़ी वजह यह है की आईटी सेल इस झूठ को विजय के तौर पर देख रहा है दूसरी बात यह भी है की तमाम पाकिस्तान और भारतीय मीडिया आउटलेट्स मौजूदा तनाव को दो न्यूक्लियर देशों के बीच तनाव के तौर पर देख रहे हैं एवं ऐसे झूठ से इस तनाव में इजाफा होता है। इंस्टीट्यूट ऑफ कंफ्लिक्ट स्टडीज के अजीत सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान से न्यूक्लियर हमले का खतरा जरूर रहता है लेकिन भारत ऐसा कुछ करेगा इसकी संभावना कभी नहीं रहीं। इस तरह के हॉक्स भारत को बदनाम करने के लिए आए लेकिन इसका इस्तेमाल बीजेपी आईटी सेल ने कर लिया।