नेशनल ब्यूरो,दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र की विमानन परिषद ने सोमवार को फैसला सुनाया (death of 300 air passengers) कि 2014 में यूक्रेन के ऊपर मलेशियाई एयरलाइंस के विमान को मार गिराए जाने के लिए रूस जिम्मेदार है जिसमें सवार लगभग 300 लोगों की मौत हो गई थी। ग़ौरतलब है कि उक्त हादसे में 196 डच नागरिक और 28 ऑस्ट्रेलियाई नागरिक शामिल हैं।
क्या था पूरा मामला
मलेशियाई एयरलाइंस की फ्लाइट MH17 17 जुलाई 2014 को एम्स्टर्डम से कुआलालंपुर के लिए रवाना हुई थी, लेकिन पूर्वी यूक्रेन के ऊपर उसे मार गिराया गया। यह उस समय की बात है जब रूस समर्थित अलगाववादियों और यूक्रेनी सेना के बीच लड़ाई चल रही थी।

विमान पर रूस निर्मित सतह से हवा में मार करने वाली BUK मिसाइल से हमला किया गया।विमान में सवार सभी 298 यात्री और चालक दल के सदस्य मारे गए। इनमें से दो तिहाई डच थे, 38 ऑस्ट्रेलियाई और 30 मलेशियाई थे।
घटना के आठ साल बाद, एक डच अदालत ने दो रूसी लोगों और एक यूक्रेनी व्यक्ति को उनकी अनुपस्थिति में हमले में उनकी भूमिका के लिए हत्या का दोषी ठहराया। मॉस्को ने अपने नागरिकों को प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया है और इस फैसले को “निंदनीय” बताया है।
संयुक्त राष्ट्र ने क्या कहा?
ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड उसके बाद यह मामला संयुक्त राष्ट्र में ले गये थे अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) की परिषद ने कहा कि लगाए गए दावे “तथ्यों और कानून की दृष्टि से पूरी तरह पुष्ट हैं।”एजेंसी ने एक बयान में कहा, “रूसी संघ 2014 में मलेशिया एयरलाइंस की उड़ान MH17 को मार गिराने के मामले में अंतर्राष्ट्रीय हवाई कानून के तहत अपने दायित्वों को निभाने में विफल रहा।”
आस्ट्रेलिया और नीदरलैंड ने किया स्वागत

डच विदेश मंत्री कैस्पर वेल्डकैम्प ने इस निर्णय पर अपने बयान में कहा, “यह निर्णय सत्य को स्थापित करने तथा विमान एमएच17 के सभी पीड़ितों, उनके परिवारों और प्रियजनों के लिए न्याय और जवाबदेही प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
“यह निर्णय अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी एक स्पष्ट संदेश देता है: राज्य अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कर दंड से बच नहीं सकते।”
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने भी इस फ़ैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “हम रूस से अपील करते हैं कि वह हिंसा के इस भयानक कृत्य के लिए अपनी ज़िम्मेदारी स्वीकार करे और अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अपने घिनौने आचरण के लिए मुआवज़ा दे।”
वेल्डकैम्प ने कहा कि नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया चाहते हैं कि आईसीएओ परिषद रूस को संभावित क्षतिपूर्ति पर बातचीत करने का आदेश दे।
रुस ने आरोपों से पल्ला झाड़ा
मॉस्को ने आईसीईओ के निष्कर्षों को खारिज करते हुए उन्हें “पक्षपाती” बताया।क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, “रूस ऐसा देश नहीं था जिसने घटना की जांच में भाग लिया था।””इसलिए हम इन सभी पक्षपातपूर्ण निष्कर्षों को स्वीकार नहीं करते हैं।”