द लेंस डेस्क। आगामी 14 मई को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ लेने जा रहे जस्टिस बीआर गवई ने मीडिया सेअनौपचारिक बातचीत में कई मुद्दों पर अपनी राय साझा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि रिटायरमेंट के बाद वह राजनीति में कदम नहीं रखेंगे।
जस्टिस गवई ने कहा कि उनके पिता महाराष्ट्र के प्रमुख नेता थे और कई राज्यों के राज्यपाल रहे, लेकिन वह स्वयं राजनीति से दूर रहना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सीजेआई का पद इतना गरिमामय है कि रिटायरमेंट के बाद इससे नीचे के पद जैसे कि राज्यपाल स्वीकार नहीं किए जाने चाहिए।
गौरतलब है कि जस्टिस पी. सदाशिवम, जो 2013 से 2014 तक मुख्य न्यायाधीश रहे, उन्हें 2014 में केरल का राज्यपाल बनाया गया और वे 2019 तक इस पद पर कार्यरत रहे। हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस एस. अब्दुल नजीर को 2023 में आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया
जस्टिस गवई ने उच्च न्यायालय के जजों से सुप्रीम कोर्ट की तरह अपनी संपत्ति सार्वजनिक करने की वकालत की। साथ ही उन्होंने बताया कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, जैन मंदिर सहित सभी धार्मिक स्थलों पर जाते हैं।
जस्टिस गवई ने गर्व के साथ बताया कि वह देश के पहले बौद्ध मुख्य न्यायाधीश होंगे। उन्होंने कहा, “मैं बौद्ध धर्म का अनुयायी हूं और बुद्ध पूर्णिमा के ठीक बाद शपथ लेना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उनके पिता ने बाबासाहेब आंबेडकर के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था।
सोशल मीडिया पर जजों और अदालतों के खिलाफ टिप्पणियों के सवाल पर जस्टिस गवई ने कहा कि वह सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं। उपराष्ट्रपति और सांसद निशिकांत दुबे के बयानों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, “लोग कुछ भी कहें, लेकिन संविधान ही सर्वोच्च है।” उन्होंने केशवानंद भारती मामले के ऐतिहासिक फैसले का हवाला दिया, जिसमें संविधान की मूल संरचना को अहम बताया गया था।
भारत-पाक तनाव पर क्या कहा
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और हाल के सीजफायर पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि युद्ध कभी भी समाधान नहीं है। उन्होंने यूक्रेन जैसे चल रहे युद्धों का उदाहरण देते हुए कहा कि युद्ध से कोई लाभ नहीं होता। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले पर भी दुख व्यक्त किया और बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना में मारे गए लोगों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा।