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डिप्टी कलेक्टर ने ऐसा क्या किया कि मिली डिमोशन की सजा! सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

Lens News Network
Last updated: May 11, 2025 2:03 pm
Lens News Network
ByLens News Network
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Deputy collector punished with demotion
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गुंटूर। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को एक डिप्टी कलेक्टर को तहसीलदार के पद पर डिमोट (Deputy collector punished with demotion) करने का निर्देश दिया है। यह कार्रवाई अधिकारी द्वारा जनवरी 2014 में गुंटूर जिले में हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए झोपड़ियों को जबरन हटाने के मामले में की गई।

9 मई को सुनवाई करते हुए जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कोर्ट के आदेशों की अवहेलना को गंभीरता से लेते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी उच्च पद पर हो कोर्ट के आदेशों का सम्मान और पालन करने के लिए बाध्य है। पीठ ने कहा, “कोर्ट के आदेशों की अवहेलना हमारे लोकतंत्र की आधारशिला, कानून के शासन पर हमला है।”

पीठ ने कहा, “हालांकि हम नरम रुख अपना रहे हैं, लेकिन यह संदेश देना जरूरी है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।” सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस आदेश की पुष्टि की, जिसमें अधिकारी को “जानबूझकर और पूर्ण अवहेलना” के लिए दोषी ठहराया गया था। हालांकि, हाई कोर्ट द्वारा दी गई दो महीने की जेल की सजा को संशोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारी को डिमोट करने की सजा सुनाई।

अधिकारी को 2023 में डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदोन्नत किया गया था। पीठ ने आंध्र प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि अधिकारी को तहसीलदार के पद पर डिमोट किया जाए और उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाए। जस्टिस गवई ने कहा, “हम चाहते हैं कि पूरे देश में यह संदेश जाए कि कोर्ट के आदेशों की अवहेलना को कोई बर्दाश्त नहीं करेगा।”

यह मामला उस याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें अधिकारी ने हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी अपील को खारिज कर दिया गया था। हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने 11 दिसंबर 2013 के आदेश की अवहेलना करते हुए गुंटूर जिले में झोपड़ियों को जबरन हटाने के लिए अधिकारी को दो महीने की जेल की सजा सुनाई थी। उस समय अधिकारी तहसीलदार के पद पर थे।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले अधिकारी से पूछा था कि क्या वह हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना के लिए डिमोशन की सजा स्वीकार करने को तैयार हैं। शुक्रवार की सुनवाई के दौरान, अधिकारी के वकील ने कहा, “वह (अधिकारी) किसी भी सजा को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।”

यह भी देखें : ‘बच्चों को फोन दे रहे हैं?’ सुप्रीम कोर्ट की पेरेंट्स को चेतावनी

TAGGED:andhra pradeshSupreme Court orderTop_News
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