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Home » मुठभेड़ तो हुई, माओवादी मारे भी गए, पर जानकारी क्यों नहीं?  

छत्तीसगढ़

मुठभेड़ तो हुई, माओवादी मारे भी गए, पर जानकारी क्यों नहीं?  

Lens News
Last updated: May 9, 2025 4:38 pm
Lens News
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Carregutta encounter
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रायपुर। छत्तीसगढ़ के से बीजापुर इलाके में दो- तीन दिनों बड़ी हलचल है। मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों को  लेकर ये हलचल है। मुठभेड़ पर सरकार की ओर से संबंधित सूचनाओं को लेकर ये हलचल है।  दरअसल, खबरें हैं कि  बीजापुर की कर्रेगुट्टा पहाड़ी (Carregutta encounter) पर चल रहे ऑपरेशन में फोर्स को नक्सल मोर्चे पर बड़ी सफलता मिली है। इस सफलता की खबरें जब आंकड़ो की शक्‍ल में बाहर आई तो बताया गया कि फोर्स ने 22 माओवादियों को मार गिराया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बकायदा मीडिया को बयान दे दिया। उनका बयान जिस दिन मीडिया की सुर्खियां बना उसी रात अचानक प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा का एक वीडियो स्टेटमेंट जारी होता है। इसमें वो बताते हैं कि बीजापुर में ऑपरेशन तो  चल रहा है लेकिन उसका नाम ऑपरेशन संकल्प नहीं है। ना ही उसमें मरने वालों का आंकड़ा 22 है।

गृहमंत्री के इस बयान के बाद हलचल मची, सवाल उठे कि अगर मौतों को आंकड़ा 22 नहीं है तो  कितना है? बीजापुर से लेकर रायपुर और दिल्ली तक यह सवाल उठने लगा कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि मुख्यमंत्री का बयान आने के बाद, प्रदेश के गृहमंत्री को कैमरे पर आकर एक स्टेटमेंट जारी करना पड़ा कि मौतों का आंकड़ा 22 नहीं है।

इतना तय था कि ऑपरेशन हुआ। यह भी तय था कि फोर्स ने बहुत से माओवादियों को मार गिराने में सफलता प्राप्त की। दो दिन, तीन दिन बीत जाने पर भी इस पर कोई आधिकारिक बयान और प्रेसवार्ता करने से परहेज क्यों? दरअसल, अबतक तो इक्का- दुक्का माओवादियों के मारे जाने की सूचनाएं आधिकारिक तौर दी जाती रहीं हैं।

द लेंस ने इस बात का जवाब उच्च स्तर से लेकर बीजापुर में भी अफसरों से पाने की कोशिश की लेकिन दिलचस्प है कि किसी ने भी इस बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। बीजापुर से पुलिस प्रशासन और स्थानीय सूत्रों से यह पुष्टी हो रही थी कि बड़ा ऑपरेशन हुआ है पर इसकी जानकारी कोई नहीं दे रहा था। इस चुप्पी ने तरह-तरह की चर्चाओं को भी जन्म दिया। मौत के आंकड़ों से इतर एक चर्चा यह थी कि करीब 150 माओवादी फोर्स के कब्जे में हैं। लेकिन यह सब सिर्फ ऐसी चर्चाएं जिनकी पुष्टी किसी भी स्तर पर नहीं थी।

बताते हैं कि बीजापुर में पत्रकारों को सुरक्षा कारणों से उन इलाकों में नहीं जाने दिया जा रहा है. जिधर ऑपरेशन है या जिधर माओवादियों की लाशें रखी हुई है। मीडिया को एक ऐसी तस्वीरें मिली कि एक पंड़ाल में कुछ लाशें कफन में लिपटी नजर आ रहीं हैं। यह तस्वीर छिप कर ली हुई प्रतीत हो रही है. लेकिन इस बात की पुष्टी नहीं थी कि यह तस्वीर बीजापुर इलाके की ही है या ये शव माओवादियों के ही हैं।

माओवाद के  मोर्चे पर ऐसा संभवत: पहली बार हो रहा है। यह भी पहली बार हो रहा है कि मुख्यमंत्री के बयान के बाद उसी रात गृहमंत्री एकदम अलग बयान खुद होकर जारी करें। एक अधिकारी ने बस इतना कहा कि जानकारी दी जाएगी लेकिन इंतजार कीजिए। यह भी दावा किया गया कि मारे गए लोगों में बड़े माओवादी नेता भी शामिल हैं। बस यह बात समझ से परे है कि अगर यह दावे  सही हैं तो जिस दिन भी सुरक्षा बलों कि इस सफलता की जानकारी साझा की जाएंगी उस दिन मुठभेड़ से लेकर पोस्टमार्टम तक की तारीख क्या बताई जाएगी? इस बारे में किसी भी अपडेट का इंतजार किया जा रहा है। 

TAGGED:BastarCarregutta encounterCM Vishnudeo SaiNaxalTop_NewsVijay sharma
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