द लेंस डेस्क। जम्मू– कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत–पाकिस्तान के बीचजारी तनाव ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है। दुनिया भर के देशों की इस स्थिति पर नजर है। भारतीय सेना ने 6-7 मई की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। साथ ही जम्मू, उधमपुर, राजौरी, पठानकोट, सांबा और अखनूर में 50-60 पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम किया।
पाकिस्तान ने भी भारत पर ड्रोन हमले का आरोप लगाया, जिसे भारत ने खारिज किया। दुनिया इस हालात को कैसे देख रही है। क्या इसका असर दक्षिण एशियाई राजनीति को प्रभावित करने जा रहा है? इन्हीं सवालों का जवाब तलाशती द लेंस की यह रिपोर्ट…
अमेरिका का सीधे हस्तक्षेप से इनकार, लेकिन बाकी देश क्या सोचते हैं
भारत ने 30 देशों के राजनयिकों के सामने पाकिस्तान के आतंकी केंद्रों के सबूत पेश किए, जिससे वैश्विक समर्थन जुटाने की कोशिश की। भारत के करीब दो दर्जन हवाई अड्डों पर उड़ानें प्रभावित हुईं और 850 से अधिक उड़ानें रद्द की गईं। विदेशी एयरलाइनों ने पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र से परहेज किया। भारत ने सिंधु जल समझौता रद्द कर दिया और पाकिस्तानी दूतावास बंद कर दिया।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस तनाव को प्रमुखता से कवर किया है। बीबीसी के अनुसार, कई मीडिया संस्थानों ने आशंका जताई है कि तनाव और बढ़ सकता है। डेली टेलीग्राफ ने लिखा, “कश्मीर पर भारत-पाकिस्तान विवाद 80 साल पुराना है। दोनों देश अक्सर अमेरिकी मध्यस्थता पर निर्भर रहे हैं।” वैश्विक मीडिया में भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पाकिस्तान के जवाबी दावों पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं।
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने भारत और पाकिस्तान के नेताओं से आग्रह किया है कि वे तनाव घटाने, नागरिकों खासकर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और विभाजनकारी शक्तियों के खिलाफ एकजुट होने के लिए ठोस कदम उठाएं। एक्स पर अपने संदेश में मलाला ने कहा, “नफरत और हिंसा हमारा साझा शत्रु है, न कि हम एक-दूसरे।”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 7 मई को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मैं भारत और पाकिस्तान दोनों को अच्छी तरह जानता हूं। अगर मैं कुछ मदद कर सकता हूं, तो जरूर करूंगा। मैं चाहता हूं कि यह टकराव जल्द खत्म हो।” ट्रंप ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की, लेकिन यह भी संकेत दिया कि दक्षिण एशिया उनकी प्राथमिकता में नहीं है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने स्पष्ट किया, “हम युद्ध में शामिल नहीं होंगे, जो हमारा काम नहीं है।” अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए हमलावरों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की।
बांग्लादेश ने 7 मई को एक आधिकारिक बयान में भारत-पाकिस्तान तनाव पर गहरी चिंता जताई। विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों से संयम बरतने और ऐसी कार्रवाइयों से बचने का आग्रह किया, जिससे क्षेत्रीय स्थिति और बिगड़ सकती है। बयान में कहा गया, “बांग्लादेश कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से तनाव कम करने और क्षेत्रीय शांति की उम्मीद करता है।”
सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल सऊद ने भारत और पाकिस्तान के समकक्षों से बात की है, जबकि ईरान ने मध्यस्थता की पेशकश की है। दोनों देशों ने क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया, लेकिन कोई विस्तृत बयान जारी नहीं किया।
यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने भारत और पाकिस्तान से शांति बनाए रखने और कूटनीतिक वार्ता को बढ़ावा देने का अनुरोध किया है। मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि ऐसे कदमों से बचना चाहिए जो दक्षिण एशिया में सुरक्षा स्थिति को और खराब कर सकते हैं। साथ ही, यूक्रेन ने कहा कि वह क्षेत्रीय घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है और शांति व स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करता रहेगा।
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने पाकिस्तान में भारत के हवाई हमलों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि भारत का आतंकी ठिकानों पर हमला उचित था। सुनक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि किसी भी देश को अपनी सीमाओं पर आतंकी हमलों को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए, खासकर जब वे किसी अन्य देश की जमीन से संचालित हों। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवादियों को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जानी चाहिए।
वहीं ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा, “ब्रिटेन सरकार भारत और पाकिस्तान दोनों से अपील करती है कि वे संयम बरतें और साथ में बैठकर कूटनीतिक बातचीत करके समस्या का हल निकालें।”
फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट ने फ़्रेंच न्यूज़ चैनल से कहा, “हम आतंकवाद के संकट से खुद को बचाने के लिए भारत की इच्छा को समझते हैं, लेकिन हमने दोनों देशों से संयम बरतने के लिए कहा है।”
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में व्यक्त किया, ‘हमें चिंता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच मिसाइल हमलों के कारण तनाव एक बड़े युद्ध में बदल सकता है, जिससे कई नागरिकों की जान जा सकती है। मैं उन भाइयों के लिए प्रर्थना करता हूं जिन्होंने हमलों में अपनी जान गंवाई।
जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव शुरू हुआ, तो यह अनुमान लगाया जा रहा था कि चीन पाकिस्तान का समर्थन कर सकता है। हालांकि, चीन की प्रतिक्रिया अप्रत्याशित रही है। उसने तटस्थ रुख अपनाते हुए दोनों देशों से शांति और संयम की अपील की है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन दोनों देशों के बीच मौजूदा स्थिति से चिंतित है। मंत्रालय ने आगे कहा, ‘भारत और पाकिस्तान पड़ोसी हैं और हमेशा रहेंगे। दोनों हमारे भी पड़ोसी हैं। चीन हर तरह के आतंकवाद का विरोध करता है और दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने, संयम दिखाने तथा तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचने का अनुरोध करता है।
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