रायपुर। झारखंड में शराब नीति को लेकर हुए कथित घोटाले की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से कराने की मांग उठी है। यह मांग छत्तीसगढ़ सरकार ने की है। छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से सीबीआई जांच की सिफारिश का नोटिफिकेशन जारी किया गया है। झारखंड शराब नीति घोटाले की जांच छत्तीसगढ़ की ईओडब्ल्यू-एसीबी कर रही थी।

इस कथित घोटाले में शामिल अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति झारखंड सरकार से मांगी गई गई थी, लेकिन झारखंड से कोई जवाब नहीं मिला। करीब 7 महीने से झारखंड सरकार के जवाब के इंतजार में ईओडबल्यू थी, लेकिन अब जब कोई जवाब नहीं मिला तो ब्यूरो की तरफ से सरकार को सीबीआई जांच की सिफारिश की गई। इस सिफारिश के बाद 1 मई को सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन जारी किया गया है।
करीब 450 करोड़ के इस शराब नीति घोटाले में छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले के आरोपी अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, अनवर ढेबर और उनके सिंडिकेट के अलावा झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेन्द्र सिंह को भी आरोपी बनाया गया है।
पिछले साल 7 सितंबर को ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की थी, क्योंकि इस घोटाले के लिंक भी छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े हैं। छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की जांच पहले से ही ईओडब्ल्यू कर रही है। अब तक EOW की जांच की वजह से झारखंड के अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही थी, लेकिन अब CBI की एंट्री के बाद उन अफसरों पर कार्रवाई हो सकेगी।
इसे भी पढ़ें : बिना सबूत के आरोप लगाती है ईडी, छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में भड़के जज
सीबीआई जल्द ही दर्ज करेगी एफआईआर
जानकारी मिल रही है कि सीबीआई जल्द ही इस मामले में एफआईआर कर सकती है। इस मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी जांच के घेरे में आ सकते हैं। सीबीआई की एफआईआर के बाद आईएएस विनय कुमार चौबे, गजेंद्र सिंह समेत अन्य से पूछताछ होगी। साथ ही अभियोजन भी चलेगा।
छत्तीसगढ़ EOW की दर्ज इस FIR में हेमंत सोरेन के सचिव रहे चुके विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त आयुक्त आबकारी गजेंद्र सिंह का नाम बतौर आरोपी शामिल है। दोनों अफसरों पर धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र रचने की धाराओं में एफआईआर हुई थी।
एफआईआर में बताया गया कि छत्तीसगढ़ के तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर, आबकारी आयुक्त अरूणपति त्रिपाठी और उनके सिंडिकेट के लोग झारखंड के इन अफसरों से मिलकर झारखंड की नीति में फेरबदल किया था। इसके बाद झारखंड में देशी और विदेशी शराब का टेंडर भी सिंडिकेट के लोगों को ही मिला।
झारखंड में बिना हिसाब की डूप्लीकेट होलोग्राम लगी देशी शराब की बिक्री की गई। साथ ही विदेशी शराब की सप्लाई का काम एफएल 10 लाइसेंस के रूप में नियम बनाकर अपने करीबी एजेंसियों को दिलाया। इसके बाद उन कंपनियों से करोड़ों रुपए का अवैध कमीशन लिया। इससे करोड़ों रुपयों की अवैध कमाई की गई।
इसे भी पढ़ें : जेठमलानी ने टुटेजा के स्टे को रद्द करने का किया विरोध तो जजों ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के केस से खुद को अलग किया