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देश

‘धारणा का युद्ध: भारत-पाक के बीच रणनीति, मीडिया और युद्ध की भाषा’

Lens News Network
Last updated: May 5, 2025 12:39 pm
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ByLens News Network
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अपूर्व भारद्वाज
स्वतंत्र लेखक व मीडिया विश्लेषक

पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को टूरिस्टों पर हुए आतंकी हमले में 28 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, यह हमला ऐसे समय हुआ जब भारत-पाक संबंध पहले से तनावपूर्ण चल रहे थे। इस घटना के बाद भारत में न्यूज स्टूडियो से लेकर सोशल मीडिया तक एक ही मांग गूंजने लगी — “जवाब दो, युद्ध दो!”

खबर में खास
भारत की स्थिति: आक्रामकता या रणनीति?पाकिस्तान की स्थिति: भारत-केंद्रित नीति और सीमित विकल्पक्या हम युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं?निष्कर्ष

इस उग्र प्रतिक्रिया की गूंज पाकिस्तान तक भी सुनाई दी, जहां की मीडिया और राजनीतिक गलियारे में भी बयानबाज़ी तेज़ हो गई। दोनों देशों की सैन्य और राजनीतिक भाषा इतनी आक्रामक हो चली है कि ज़रा सी चूक दो परमाणु संपन्न राष्ट्रों को युद्ध की ओर धकेल सकती है। लेकिन यह सब क्या वाकई युद्ध की तैयारी है? या फिर एक रणनीतिक संचार युद्ध?

पत्रकारिता के अध्ययन के दौरान पढ़ी गई “The Art of War” की प्रसिद्ध पंक्ति इस संदर्भ में बेहद प्रासंगिक हो उठती है:

“सारी युद्धनीति धोखे पर आधारित होती है…”

इस बात को समझने के लिए ज़रूरी है कि हम वर्तमान हालातों का विश्लेषण तथ्यों के साथ करें:

भारत की स्थिति: आक्रामकता या रणनीति?

सैन्य स्थिति:
भारत की Active Military Personnel संख्या: 14.5 लाख
रक्षा बजट (2024-25): 6.2 लाख करोड़ रुपये (GDP का ~2% से अधिक)
LoC पर निगरानी: पिछले एक साल में 340 से अधिक संघर्षविराम उल्लंघन दर्ज हुए।

सर्जिकल स्ट्राइक का संदर्भ:
2016 उरी हमले के बाद भारत ने 28-29 सितंबर को PoK में सर्जिकल स्ट्राइक किया था।
इसके बाद 2019 में पुलवामा हमले के जवाब में बालाकोट एयरस्ट्राइक की गई।

आंतरिक राजनीतिक संदर्भ:
2024 के लोकसभा चुनावों में सुरक्षा और राष्ट्रवाद को एक बार फिर प्रमुख मुद्दा बनाया गया।
चुनावी सालों में राष्ट्रीय सुरक्षा के इर्द-गिर्द राजनीतिक विमर्श तेज हो जाता है।

वैश्विक मंच पर छवि:
भारत 2023 में G20 की अध्यक्षता कर चुका है।
संयुक्त राष्ट्र में लगातार पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को उजागर करता रहा है।

पाकिस्तान की स्थिति: भारत-केंद्रित नीति और सीमित विकल्प

आर्थिक हालात:
पाकिस्तान का विदेशी कर्ज़: $130 बिलियन से अधिक
IMF की 9वीं समीक्षा के बाद पाकिस्तान को $3 बिलियन का बेलआउट पैकेज मिला, लेकिन शर्तें भारी हैं।

सैन्य निर्भरता:
Active military personnel: 6.5 लाख
रक्षा बजट: $8 बिलियन (भारत से 6 गुना कम)
परमाणु हथियारों की संख्या: अनुमानतः 100-120 (भारत के बराबर)

राजनीतिक अस्थिरता:
इमरान खान की गिरफ्तारी, सेना और न्यायपालिका के बीच तनाव, बढ़ती महंगाई और आतंरिक असुरक्षा ने पाकिस्तान की स्थिरता को और कमज़ोर किया है।

सामरिक नीति:
पाकिस्तान की सुरक्षा नीति में “India-centric strategic depth” आज भी प्रमुख सिद्धांत बना हुआ है।

क्या हम युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं?

वास्तविकता यह है कि दोनों देश पूर्ण युद्ध का जोखिम नहीं उठा सकते

भारत के लिए वैश्विक छवि, निवेश, विकास और स्थायित्व प्रमुख हैं।

पाकिस्तान के पास न आर्थिक ताकत है, न कूटनीतिक समर्थन।

लेकिन मीडिया, राजनीति और जनसंचार का माहौल पूर्ण युद्ध का आभास दे रहा है — और यही सबसे बड़ा खतरा है।

निष्कर्ष

आज युद्ध की भाषा ज्यादा गूंज रही है, लेकिन ज़रूरी नहीं कि युद्ध ही अंतिम परिणाम हो। यह रणनीतिक भ्रम भी हो सकता है — एक ऐसा संचार युद्ध जिसमें धारणा बनाना, भय फैलाना और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना मुख्य उद्देश्य हो।

“जब युद्ध नहीं लड़ना हो, तब युद्ध की बात कर के भी जीत हासिल की जा सकती है।”

इस पूरे घटनाक्रम में हमें भावनाओं से अधिक विवेक और उग्र राष्ट्रवाद से अधिक शांति की जरूरत है, क्योंकि युद्ध की सबसे बड़ी जीत वही होती है — जो लड़ी ही न जाए।

TAGGED:Indo-PakPahalgam terror attackTop_News
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