नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आईएमएफ में भारत के कार्यकारी निदेशक के सुब्रमण्यम को कार्यकाल खत्म होने से छह महीने
पहले ही हटा दिया है। उनकी नियुक्ति अपाइंटमेंट कमेटी ऑफ केबिनेट (एसीसी) की सिफारिश पर नवंबर, 2022 में की गई थी। उन्हें सरकार का पसंदीदा अर्थशास्त्री माना जाता रहा है। वह देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार भी रह चुके हैं।
आधिकारिक तौर पर सुब्रमण्यम को आईएमएफ के कार्यकारी पद से हटाए जाने का कोई कारण नहीं बताया गया है। लेकिन खबरें हैं कि उन्हें अपनी किताब India@100: Envisioning Tomorrow’s Economic Powerhouse के प्रमोशन की वजह से हटाया गया।
एसीसी ने 25 अगस्त 2022 को सुब्रमण्यम की नियुक्ति की सिफारिश की थी। एक नवंबर 2022 को तीन साल के लिए आईएमएफ में भारत के कार्यकारी निदेशक के रूप में उनका कार्यकाल शुरू हुआ था। मगर कार्यकाल खत्म होने से छह महीने पहले ही सरकार ने उन्हें रुखसत कर दिया। आईआईटी खड़गपुर आईआईएम कलकत्ता से पढ़ाई करने के बाद सुब्रमण्यम ने शिकागो के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से पीएचडी की थी।
2022 में सुरजीत भल्ला का कार्यकाल खत्म होने के बाद सुब्रमण्यम की नियुक्ति की गई थी। सुब्रमण्यम ने अपनी किताब में दावा किया है कि, 2047 तक भारत 55 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। दिलचस्प यह है कि गोल्डमैन सैस जैसी संस्था का यह अनुमान है कि 2075 तक भारत की अर्थव्यवस्था 50 ट्रिलियन डॉलर तक होगी।
सुब्रमण्यम की आईएमएफ से बर्खास्तगी ऐसी समय में हुई है, जब आईएमएफ एग्जीक्यूटिव बोर्ड नौ मई को पाकिस्तान को प्रस्तावित कर्ज की समीक्षा करने वाला है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते के बीच इस बात की संभावना है कि भारत इस तरह के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेगा।