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वाघा बार्डर पर जबरिया लाये गए परिवार साबित करें नागरिकता, जानें सुप्रीम कोर्ट ने और क्‍या कहा

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ByLens News Network
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Published: May 2, 2025 2:47 PM
Last updated: May 3, 2025 2:42 PM
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Refugee crisis
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को उन 6 व्यक्तियों के नागरिकता के दावों की पुष्टि करने को कहा है जिनको सरकार द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों को भारत से निर्वासित (Pakistani citizens deported from India) करने के अभियान के तहत वाघा बार्डर पर ले जाकर छोड़ दिया गया है। गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं ने अपने पास वैध पासपोर्ट और आधार कार्ड होने का दावा किया था।

न्यायालय ने कहा है कि वे “सभी दस्तावेजों और किसी भी अन्य प्रासंगिक तथ्य की पुष्टि करें जो उनके संज्ञान में लाए जा सकते हैं।” न्यायालय ने इस मामले में कोई समय सीमा तय नहीं करते हुए कहा है कि इसे मिसाल के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए।

1987 में भारत आया परिवार

सुप्रीम कोर्ट ने 1987 के दौरान भारत आये अहमद तारिक बट के मामले में कहा कि जब तक अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी। पीठ ने याचिकाकर्ताओं को यह भी स्वतंत्रता दी कि यदि वे केंद्रीय अधिकारियों द्वारा लिए गए अंतिम निर्णय से असंतुष्ट हैं, तो वे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

बचाव पक्ष ने क्या कहा

याचिकाकर्ताओं के वकील नंद किशोर का कहना था कि वादी भारतीय नागरिक हैं, उनके पास पासपोर्ट और आधार कार्ड हैं। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता बैंगलोर में काम कर रहे हैं और बाकी माता-पिता और बहनें श्रीनगर में हैं। उन्होंने कहा कि श्रीनगर में परिवार के सदस्यों को जीप में बिठाकर वाघा सीमा पर ले जाया गया और वे “देश से बाहर फेंके जाने की कगार पर हैं।”

न्यायमूर्ति कांत ने पूछा, “पिता भारत कैसे आए? तो वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सीमा पर पासपोर्ट सरेंडर कर दिया और भारत आ गया। वर्चुअल रूप से पेश हुए बेटों में से एक ने दावा किया कि पिता कश्मीर के “दूसरे हिस्से” से मुजफ्फराबाद से भारत आए थे। न्यायमूर्ति कांत ने इस बात पर अप्रसन्नता व्यक्त की कि याचिका में इन तथ्यों का खुलासा नहीं किया गया। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले संबंधित अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए ताकि उनके दावों की पुष्टि हो सके।

न्यायालय का क्या है आदेश

न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा “विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, उचित निर्णय लिए जाने तक अधिकारी कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर सकते। यदि याचिकाकर्ता अंतिम निर्णय से असंतुष्ट हैं, तो वे जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं। आदेश को मिसाल नहीं माना जाना चाहिए।”

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अल्पकालिक वीजा धारी या देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक देश छोड़ने अन्यथा कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा था भारत द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों को जारी सभी मौजूदा वैध वीज़ा 27 अप्रैल 2025 से रद्द हो जाएंगे।

पहले गृह मंत्रालय ने कहा था कि 30 अप्रैल को वाघा-अटारी बॉर्डर बंद हो जाएगा, लेकिन अब फैसला बदल दिया गया है। पुराने आदेश की समीक्षा के बाद आंशिक रूप से संशोधन करते हुए अब गृह मंत्रालय ने कहा है कि जब तक कोई नया निर्देश जारी नहीं होता, तब तक उचित मंजूरी प्राप्त पाकिस्तानी नागरिक इस मार्ग से पाकिस्तान जा सकते हैं। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह अनुमति अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी।

यह भी देखें : गृह मंत्रालय ने फैसला बदला, अगले आदेश तक खुली रहेगी वाघा-अटारी सीमा

TAGGED:Pakistani citizensSUPREM COURTTop_News
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