द लेंस डेस्क। दो राज्यों में विभाजन के ग्यारह साल बाद आंध्र प्रदेश को नई राजधानी मिलने जा रही है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की यह ‘प्रजा राजधानी’ अमरावती शहर में बन रही है। दो मई को प्रधानमंत्री मोदी इससे जुड़ी परियोजनाओं के भूमि पूजन में हिस्सा लेंगे। यह नई राजधानी गुंटूर जिले में कृष्णा नदी के बाएं किनारे 217.23 वर्ग किलोमीटर के दायरे में बसाई जा रही है।
इस प्रोजेक्ट में पिछले साल 2024 में चंद्रबाबू नायडू के दोबारा राज्य की कमान संभालने के बाद तेजी आई है। लंबे आंदोलन के बाद 2014 में यूपीए सरकार के समय आंध्र प्रदेश से अलग कर तेलंगाना राज्य बनाया गया था। इस विभाजन से अविभाजित आंध्र प्रदेश की लाइफलाइन माने जाना वाला हैदराबाद तेलंगाना के हिस्से में आया। नई राजधानी बनने तक हैदराबाद को आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाए रखने पर सहमति जताई गई थी।
कैसी होगी राजधानी अमरावती
कृण्णा नदी के किनारे बसाए जा रहे अमरावती को विश्वस्तरीय शहर बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है। शहर में नौ थीम-आधारित उपनगरों और एक 50 मंजिला एकीकृत सरकारी केंद्र का निर्माण किया जा रहा है। अमरावती के केंद्र में 250 मीटर उंचा विधानसभा भवन आंध्र प्रदेश का चेहरा बनने को तैयार है। यह 103 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें 11.2 लाख वर्ग फुट में फैला विधायी कक्ष, आगंतुक गैलरी और जनता के लिए पैनोरमिक व्यू की सुविधा है। यह भवन अमरावती की पहचान को और मजबूत करेगा।
नौ उपनगरों में विभाजित राजधानी
217 वर्ग किलोमीटर में फैले अमरावती को नौ उपनगरों में विभाजित किया जा रहा है। ये उपनगर शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यवसाय और गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित होंगे। ये उपनगर सड़कों और आधुनिक सार्वजनिक परिवहन के जरिये कोर कैपिटल क्षेत्र से जुड़े होंगे, जिससे शहर की कनेक्टिविटी और विकास को बढ़ावा मिलेगा।
कैसे चुना गया अमरावती को
आंध्र प्रदेश में 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी ने जीत हासिल की। उसे राज्य की 175 सीटों वाली विधानसभा में 102 सीटों पर जीत मिली। वहीं विपक्षी जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को 67 सीटें मिलीं। मुख्यमंत्री बनने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने नई राजधानी बसाने के लिए जगह की पहचान करने के लिए एक कमेटी का गठन किया। इस कमेटी ने प्रदेश की नई राजधानी बसाने के लिए अमरावती को चुना। इसे सरकार ने भी मंजूरी दे दी। इसके बाद सरकार ने किसानों से जमीन अधिग्रहण का काम शुरू किया। इसके बाद उसी साल 22 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई राजधानी का शियान्यास किया।
जगनमोहन चाहते थे तीन राजधानियां
2014 से 2019 तक चंद्रबाबू नायडू सरकार ने अमरावती परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाने का काम किया, लेकिन 2019 में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आ गई। इसके बाद मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने अमरावती को एकमात्र राजधानी बनाने के फैसले को रद्द करते हुए तीन राजधानी बनाने का फैसला किया। इसमें विशाखापट्टनम को कार्यकारी राजधानी, अमरावती को विधायी राजधानी और कुरनूल को न्यायिक राजधानी बनाने की घोषणा की। तीन राजधानियों की घोषणा ने निवेशकों और डेवलपर्स के बीच अनिश्चितता पैदा कर दी, जिसके कारण अमरावती में निवेश रुकने से काम ठप हो गया।
किसानों ने किया था जमकर विरोध
2019 में किसानों और उनके परिवारों ने अमरावती को राजधानी के रूप में बनाए रखने की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए। महिलाओं ने विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया और विशेष पूजा-अर्चना की, ताकि परियोजना का काम फिर से शुरू किया जाए। किसानों का कहना था कि उन्होंने अपनी उपजाऊ कृषि भूमि राजधानी के विकास के लिए दी थी, लेकिन परियोजना रुकने से उनकी आजीविका प्रभावित हुई।
तीन राजधानियों को हाईकोर्ट में चुनौती
वाईएसआर सरकार के तीन राजधानियों के प्रस्ताव को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। तीन मार्च, 2022 को उच्च न्यायालय ने अमरावती को एकमात्र राजधानी के रूप में विकसित करने का आदेश दिया, लेकिन YSRCP सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया। इस दौरान, अमरावती के लिए बुनियादी ढांचा कार्य, जैसे सड़कें और सरकारी भवन रुके रहे।
TDP की वापसी से अमरावती का रास्ता साफ
2024 के विधानसभा चुनावों में टीडीपी और भाजपा गठबंधन की जीत हुई। चंद्रबाबू नायडू एक बार फिर आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री बने और अमरावती को एकमात्र राजधानी बनाए जाने को लेकर जोर दिया। इसके बाद विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक ने 13,600 करोड़ के ऋण को फिर से मंजूरी दी। इसके साथ ही 1400 करोड़ का सहयोग भी अमरावती को डेवलप करने के लिए केन्द्र सरकार से मिला है। अमरावती फेस 1 का बजट 15000 हजार करोड़ रुपये का है।
अब दो मई को उद्घाटन
राजधानी अमरावती एक नए युग में प्रवेश करने वाली है। 2 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमरावती में में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। इनमें 9 थीम-आधारित उप-शहरों और 50 मंजिला एकीकृत सरकारी केंद्र का निर्माण शामिल है। इस पूरे क्रम को 2019 से 2024 के बीच रुकी परियोजना के पुनर्जनन के तौर पर देखा जा रहा है।