रायपुर। छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर चल रहे देश में अब तक के सबसे बड़े एंटी नक्सल ऑपरेशन ‘कगार’ के बीच देश के खुफिया चीफ तपन डेका (Tapan Deka) छत्तीसगढ़ पहुंचे। नवा रायपुर के पुलिस मुख्यालय में एक हाईलेवल बैठक ली। इसमें छत्तीसगढ़ पुलिस के आला अफसरों के साथ सेंट्रल आर्म्स पुलिस फोर्स (सीएपीएफ) के भी जिम्मेदार अफसर थे। करीब ढाई घंटे चली इस बैठक के दौरान छत्तीसगढ़ में यह सवाल होता रहा कि आखिर देश के खुफिया चीफ तपन डेका छत्तीसगढ़ क्यों आए?
बता दें कि द लेंस ने एक दिन पहले ही बता दिया था कि तेलंगाना में राजनीति शुरू होने के बाद अमित शाह ने इस ऑपरेशन की कमान ले ली है। इसी वजह से तपन डेका को छत्तीसगढ़ भेेेजा गया है। तपन डेका को इस ऑपरेशन की जिम्मेदारी दी गई है।
इसे भी पढ़ें: सबसे बड़े नक्सल ऑपरेशन की सीएम ने की समीक्षा, तेलंगाना में राजनीति शुरू होने के बाद अब कमान अमित शाह के हाथ
दरअसल, अब तक ऑपरेशन में कामयाबी नहीं मिलने पर फोर्स के आपसी समन्वय को वजह माना जा रहा था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोमवार को अपनी बैठक में भी समन्वय की बात कही थी। मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री ने मीडिया से चर्चा में कहा कि वह बैठक विभागीय बैठक थी। इसके फौरन बाद यह खबर आई कि दिल्ली से खुफिया चीफ रायपुुर आए हुए हैं और नवा रायपुर में हाईलेवल बैठक ले रहे हैं।
नवा रायपुर में बैठक के दौरान बाहर यह चर्चा होने लगी कि कुछ बड़ा होने वाला है। लेकिन, ढाई घंटे के बाद जब खुफिया चीफ वापस दिल्ली चले गए तो बैठक की कुछ जानकारियां सामने आईं। बैठक में चीफ ने ऑपरेशन में अब तक की रिपोर्ट ली गई। इसके बाद आगे का ब्लू प्रिंट रखकर लंबी चर्चा हुई। बैठक में तय हुआ कि ऑपरेशन जारी रखा जाएगा।
बैठक में चर्चा हुई कि जब पक्के इनपुट के साथ फोर्स कर्रेगुट्टा की पहाड़ी में गई है तो फिर माओवादियों के टॉप लीडर्स हफ्तेभर में हत्थे क्यों नहीं चढ़े? इस पर उन्हें बताया गया कि फोर्स पहाड़ी को चारों तरफ से घेरकर ऊपर चढ़ रही है। इस दौरान कुछ मेडिकल इमरजेंसी भी हुई। गर्मी की वजह से कुछ दिक्कतें आ रहीं हैं। फोर्स की घेराबंदी की वजह से भाकपा (माओवादी) के टॉप लीडर्स अभी पहाड़ी में ही फंसे हुए हैं। फोर्स उन तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
इसके बाद यह तय हुआ कि ऑपरेशन फिलहाल जारी रखा जाएगा। आगे कैसे ऑपरेशन को अंजाम देना है, उसका अफसरों ने ब्लू प्रिंट बनाकर दिया। बैठक में खुफिया चीफ ने भी समन्वय की बात कही और फोर्स की तरफ से की गई गलतियों को सुुुुुधारने को कहा। इसके साथ यह तय हुआ कि फोर्स के हर मुवमेंट पर अब दिल्ली से भी नजर रखी जाएगी। बैठक में छत्तीसगढ़ के डीजीपी अरुणदेव गौतम, नक्सल एडीजी विवेकानंद, CRPF DG ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, SSB समेत पैरामिलिट्री के आलाधिकारी मौजूद थे।
खुफिया चीफ के रायपुर से वापस दिल्ली जाने के बाद रायपुर में पुराना पीएचक्यू स्थित एसआईबी मुख्यालय में अफसरों की बैठक हुई। उसमें आगे की रणनीति तैयार की गई। साथ ही एसआईबी बिल्डिंग के कंट्रोल रूम से एक बार फिर कर्रेगुट्टा पर फोर्स के मुवमेंट को देखा गया।
एंटी नक्सल मुवमेंट पर चर्चा करने के बाद खुफिया चीफ छत्तीसगढ़ के इंटेलिजेंस अफसरों से मिले। पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद राज्य की आंतरिक स्थिति पर भी लोकल इंटेलिजेंस अधिकारियों से जानकारी ली।
अब तक 5 नक्सली हो चुके हैं ढेर, सेंट्रल कमेटी ने की शांति वार्ता की अपील
कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में चल रहे इस अभियान में सुरक्षा बलों ने अब तक 5 नक्सलियों को ढेर किया है। इनमें से 3 के शव और हथियार बरामद किए गए हैं। ऑपरेशन में हेलीकॉप्टर और ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। अनुमान है कि इस क्षेत्र में बड़े नक्सली लीडर्स हैं, जिनमें हिडमा,देवा और दामोदर शामिल हैं। सुरक्षा बलों ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया है और नक्सलियों के भागने के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। हालांकि अब तक दोनों राज्यों की फोर्स को 6 दिनों में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाई है। इस इलाके को नक्सलियों के कोर जोन के रूप में देखा जाता है। यहां मिली गुफा में भी नक्सलियों के होने के सबूत जरूर मिले हैं लेकिन किसी भी बडे माओवादी लीडर का पता नहीं चला है। फोर्स ने बड़ी संख्या मे माओवादियों और बड़े नक्सल लीडर्स की मौजूदगी की सूचना के बाद ये ऑपरेशन लांच किया था।
ये भी पढ़ें: जोनल कमेटी के बाद अब माओवादियों की सेंट्रल कमेटी ने भी की शांतिवार्ता की अपील
इस ऑपरेशन के बीच माओवादियों की तरफ से ऑपरेशन कगार को फौरन रोककर शांति वार्ता की अपील की गई है। इस बार माओवादियों की सेंट्रल कमेटी की तरफ से अपील की गई है। 25 अप्रैल को भाकपा (माओवादी) के केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई। यह पत्र ऐसे समय में आया है, जब आज ही छत्तीसगढ़ में सत्तारुढ़ पार्टी के एक विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने माओवादियों से शांति वार्ता न करने की बात कही।
NSA अजीत डोभाल के सबसे नजदीकी सहयोगियों में गिने जाते हैं खुफिया चीफ
तपन डेका को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के सबसे नजदीकी सहयोगियों में से एक रहे हैं। आईबी चीफ बनने से पहले वह कश्मीर में एंटी टेररिज्म मिशन के प्रमुख भी रहे हैं। 1998 में वे आईबी में हैं। इन्होंने पुलवामा, पठानकोट हमले की जांच की भी अगुवाई की थी। माना जाता है कि बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक के पीछे भी इनका ब्रेन था। इंडियन मुजाहिदीन के प्रमुख यासीन भटकल की नेपाल से हुई गिरफ्तारी के पीछे भी तपन ही थे। असम में सीएए मुवमेंट के दौरान इन्हें हालात संभालने की जिम्मेदारी मिली थी। मूलत : हिमाचल कैडर से आने वाले डेका को जब हिमाचल का डीजीपी बनाया जा रहा था तो इन्होंने वो पद लेने से मना कर दिया।