द लेंस डेस्क। (Canada election) कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी ने सोमवार, 28 अप्रैल को हुए संघीय चुनाव में जीत दर्ज की, जो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अधिग्रहण की धमकियों और व्यापार युद्ध से उपजे हालातों के बीच एक चौंकाने वाली राजनीतिक वापसी मानी जा रही है। लिबरल पार्टी फिलहाल 167 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि कंजर्वेटिव 145 सीटों पर आगे हैं।
ओटावा में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए विजय भाषण में कार्नी ने वाशिंगटन से आ रहे खतरों के बीच कनाडा की एकता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी दोहराया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कनाडा और अमेरिका के बीच जो परस्पर लाभकारी व्यवस्था थी, वह अब समाप्त हो चुकी है। यह बात उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी कही थी। उन्होंने कहा, “हम अमेरिका के विश्वासघात के सदमे से उबर चुके हैं, लेकिन हमें उसके सबक कभी नहीं भूलने चाहिए।”
(Canada election) चुनाव के बाद आए अनुमानों के अनुसार, लिबरल पार्टी ने संसद की 343 में से अधिक सीटें जीतीं, जिससे वे कंजरवेटिव पार्टी से आगे निकल गए। हालांकि यह तुरंत स्पष्ट नहीं हो सका कि वे स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर पाए हैं या सरकार बनाने और कानून पारित करने के लिए उन्हें एक या अधिक छोटी पार्टियों पर निर्भर रहना होगा।

Canada election: खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह हारे, पार्टी ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी गंवाया
कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और खालिस्तान समर्थक माने जाने वाले जगमीत सिंह को चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस हार को भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों को पुनः सामान्य करने के एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है, जो पहले जगमीत सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों के चलते तनावपूर्ण हो गए थे। जगमीत सिंह ब्रिटिश कोलंबिया के बर्नाबी सेंट्रल सीट से चुनाव लड़ रहे थे, जहां उन्हें लिबरल पार्टी के वेड चांग ने हरा दिया।
(Canada election) कनाडाई मीडिया के अनुसार न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी केवल सात सीटें ही जीत पाई है, जिससे वह संसद में चौथे स्थान पर पहुंच गई है। इसके मुकाबले ब्लॉक क्यूबेकुआ पार्टी को 23 सीटें और कंजरवेटिव पार्टी को 147 सीटें मिली हैं। चुनाव परिणामों के कुछ घंटों बाद ही जगमीत सिंह ने पार्टी नेतृत्व से इस्तीफा दे दिया। एनडीपी अब संसद में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी खो बैठी है।
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