दिल्ली। क्या आप जानते हैं, एनडीटीवी, न्यूज 18, टाइम्स नाऊ, आईबीसी न्यूज, लाइव मिंट, फ्री प्रेस जर्नल आदि ने जिस वीडियो को पहलगाम के शहीद विनय नरवाल और उनकी पत्नी का आखिरी वीडियो बताकर खबर प्रस्तुत की थी, दरअसल वह फर्जी खबर (Fake News) थी? इस खबर के करोड़ों लोगों तक पहुंचने के बाद एक जीवित दंपति को आकर बताना पड़ा कि यह नरवाल और उनकी पत्नी नहीं, बल्कि हम हैं। दुखद यह है कि इस वीडियो की पुष्टि के बाद भी कई वेबसाइट्स और और उनके चैनल से इसे नहीं हटाया गया। सर्वाधिक दुखद बात यह रही कि वह तस्वीर जिसे पहलगाम हादसे में मारे गए आदिल के बच्चे की आखिरी विदाई बताया गया, वह गजा की निकली।

पाकिस्तानी हैंडल्स की फर्जी सूचनाएं भारत में बनी ख़बरें
स्क्रीन पर उभरता है, 48 घंटे में भारत बड़ा एक्शन ले सकता है। चीखता हुआ एंकर बोलता है, “देश में ऑपरेशन गद्दार शुरू हुआ, जो देश में रहकर देश के दुश्मनों के साथ खड़े हैं, उनके खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई। पहलगाम हमले के बाद देश के समाचार चैनलों, अखबारों और सोशल मीडिया की फीड में इस वक्त “फर्जी ख़बरों की बाढ़ आई हुई है। एक तरफ पाकिस्तानी हैंडल्स से जारी की गई झूठी और फर्जी सूचनाओं को ख़बरों के शक्ल में पेश किया जा रहा है, दूसरी तरफ बहुत सी पुरानी और अप्रासंगिक खबरों को नए रंग-रोगन के साथ वायरल कर मौजूदा तनाव में इजाफा किया जा रहा है। देश में मुसलमानों पर झूठे हमले और पहलगाम के आतंकियों के झूठे वीडियोज की बाढ़ आई हुई है। लेंस ने इसकी पड़ताल की।
यमन के हुती विद्रोहियों के हमले की फर्जी खबर

चार अप्रैल, 2025 को एबीपी और नवभारत टाइम्स आदि वेबसाइट्स ने एक खबर यमन के हुती विद्रोहियों के बारे में छापी थी। एबीपी ने खबर लगाईं “भारत को खतरा, जल्द मिसाइल से हमला कर सकते हैं यमन के हूती विद्रोही! पाकिस्तान का सनसनीखेज दावा”। वहीँ नवभारत टाइम्स ने खबर छापी की “यमन से बरसेंगी हूती मिसाइलें, खत्म होगा इंडिया… पाकिस्तानी एक्सपर्ट ने बताया खतरनाक प्लान, भारत को कहा इस्लाम का दुश्मन।” यह खबर पहलगाम के बाद तेजी से वायरल होने लगी। इसमें दावा किया गया कि यमन के हुती विद्रोहियों ने पाकिस्तान के समर्थन में आईएनएस विक्रांत पर हमले की योजना बनाई है।”

आगरा में मुसलमानों की हत्या में पहलगाम का झूठा एंगल
हमले के दो दिनों बाद ही एक ग़जब का वाकया आगरा से सामने आया, जहाँ गुलफाम और सैफ नाम के दो मुस्लिम युवकों की हत्या हो गई। सोशल मीडिया पर तेजी से खबर वायरल होने लगी कि पहलगाम हमले के विरोध में मुस्लिम युवकों की हत्या कर दी गई थी। सोशल मीडिया तक तो फिर भी समझा जा सकता है, धीमे-धीमे यह खबर देश के कई नामचीन वेबसाइट्स पर चलने लगी। जी न्यूज ने शीर्षक लगाया, “पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए आगरा में दो अल्पसंख्यक मजदूरों की हत्या का दावा, वीडियो वायरल”।

इस मामले में अंततः आगरा पुलिस को सामने आकर खंडन जारी करना पड़ा कि इसका पहलगाम हमले से कोई संबंध नहीं है, लेकिन तब तक यह खबर भारत और पाकिस्तान के लाखों हैंडल्स से वायरल हो चुकी थी। इसमें लोग बदला लेने और तमाम तरह की हिंसक प्रतिक्रिया करते पढे गए। यह हैंडल देखिये
इजरायल और अमेरिका का भारत में उतार दिया जहाज
एक खबर शनिवार से तेजी से वायरल हो रही है कि आईएनएस विक्रांत पाकिस्तान सीमा के पास भेज दिया गया है और अमेरिका एवं इजरायल से मिलिट्री एयरक्राफ्ट भारत में उतरे हैं, इस खबर को भी लाखों भारतीय हैंडल्स ने शेयर किया और वेबसाइट ने प्रकाशित किया। लेकिन, जब जानकारी ली गई, तो पता चला आईएनएस विक्रांत अरब सागर में खड़ा है। जबकि इजरायल और अमेरिका ने कोई लड़ाकू जहाज सैनिकों के साथ भारत में नहीं भेजा है। यहाँ तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कह दिया है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही हमारे नजदीकी हैं।
https://www.instagram.com/reel/DI5rgZYyBBZ/?igsh=eTRha3Z6ZTdydHpm
पुरानी खबर का नया इस्तेमाल
एक पुरानी खबर को नए रूप में शनिवार को वायरल होते देखा गया। इसमें एक हैंडल द्वारा दावा किया गया कि आरएसएस से जुड़े एक व्यक्ति को आगरा से नकली दाढ़ी में गिरफ्तार किया गया, वह मुसलमान होने का दावा कर रहा था। यह पोस्ट तेजी से वायरल होने लगी। लेकिन जब जानकारी ली गई तो पता चला यह खबर 2022 की जयपुर की गाल्टा गेट पुलिस स्टेशन में उस वक्त यह पता लगा था कि इस व्यक्ति ने 15 साल पहले ही धर्म परिवर्तन कर लिया था और इसका नकली पहचान से कोई मतलब नहीं है।

लाहौर एयरपोर्ट पर करा दिया धमाका
इसी तरह से शनिवार को एक खबर तेजी से वायरल हुई कि लाहौर एयरपोर्ट पर धामाका हो गया है। कुछ यूजर्स ने दावा किया कि 17 लोग मारे भी गए हैं। यह खबर धीमे-धीमे एबीपी,फाइनेंशियल एक्सप्रेस और जागरण समेत तमाम वेबसाइट पर नजर आने लगी। बाद में जब तथ्यों की जांच की गई तो पता चला यह वीडियो 2022 का है जब लाहौर एयरपोर्ट पर आग लगी थी।

क्यों फैलाई जा रहीं फेक ख़बरें
एक बात स्पष्ट समझ में आती है कि इन फर्जी ख़बरों का टार्गेट दरअसल वो पाठक हैं, जो अपने देश को को इस स्थिति में विरोधी देश पर बढ़त हासिल करते देखना चाहते हैं। साथ ही हिन्दू-मुलिम एजेंडे से भी दोनों समूह अपनी पसंद की पोस्ट या खबरों का चुनाव कर लेते है, तो खबर वायरल हो जाती है। कुछ फर्जी खबरें तो ऐसी हैं, जो फेसबुक के माध्यम से करोड़ों लोगों तक पहुंच रही हैं और वो उसे सच मान बैठे हैं और उस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। यकीनन इन सबके पीछे सोशल मीडिया और वेबसाइट्स के पे आउट और विज्ञापन हैं।
आगे रहने की होड़ और फर्जी खबरें
लेंस अभिमत : फर्जी या झूठी ख़बरें मौजूदा दौर का सबसे बड़ा खतरा हैं। इससे न केवल लोकतंत्र खतरे में पड़ता है, बल्कि देश का संविधान भी चोटिल होता है। विश्वसनीयता के घोर संकट के बीच इन ख़बरों से न केवल देश और समाज का माहौल ख़राब होता है, बल्कि ऐसी ख़बरों पर आने वाली प्रतिक्रियाएं हिंसात्मक रूप भी ले रही हैं। मुजफ्फरनगर का 2013 का दंगा, कोरोना काल, सीएए एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन में अफवाहों का बाजार गरम था और इसकी परिणति हिंसा के रूप में सामने आई। इन फर्जी खबरों का खामियाजा यह है कि तथ्यपरक सूचनाओं को भी जनता शक की निगाह से देखने लगती है। हाल के वर्षों में फेक न्यूज और सोशल मीडिया की फेक पोस्ट से कई बार हिंसक वारदातें हुई हैं या असहज स्थिति पैदा हुई है। 2023 में 1490 एक्सपर्ट्स की विश्वस्तरीय टीम ने खुलासा किया था कि दुनिया में फर्जी ख़बरों को फैलाने में भारत का स्थान नंबर एक पर है। वरिष्ठ साइबर क्राइम एक्सपर्ट डॉ निधि सक्सेना इन आंकड़ों पर कहती हैं कि हिंदुस्तान में कोरोनाकाल में सोशल मीडिया यूजर्स और खबरिया वेबसाइट्स के पाठकों में भारी इजाफा हुआ। दुखद यह है कि ऐसे पाठक लाकडाउन खत्म होने के बाद भी वहां मौजूद हैं, निस्संदेह उस अनुपात में फर्जी सूचनाओं की भी बमबारी हो रही हैं। सोशल मीडिया यूजर्स के लिए यह जरूरी है कि वह हर खबर को बकायदे पुष्टि करके ही आगे बढायें। पुष्टि करने का सबसे आसान तरीका है कि आप अगर कोई तस्वीर या वीडियो इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उसे गूगल रिवर्स इमेज सर्च या गूगल लेंस में डालकर पुष्ट कर लें कि यह कहाँ-कहाँ मौजूद हैं। अगर सिर्फ लिखे हुए की पुष्टि करनी है, तो उस सूचना को आप प्लेग्रिज्म के लिए बनी वेबसाइट्स से क्लियर कर सकते हैं कि यह नई है या पुरानी है। इसके अलावा हर खबर को गूगल पर डालकर देखें कि क्या नामचीन और बड़ी वेबसाइट्स में वह खबर मौजूद है। फर्जी खबरों की पहचान मुश्किल नहीं है। हर खबर को अपने स्तर पर जरूर टटोलें।