द लेंस डेस्क। पहलगाम में हुए आंतकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। हमले के बाद भारत ने भी कड़ा रूख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को रद्द करने जैसे बड़े कदम भी उठाएं हैं। इसके जबाव में पाकिस्तान ने भी भारत के साथ हो रहे सभी व्यापार को खत्म कर दिया है।
व्यापार खत्म करने के बाद अब पाकिस्तान में दवाईयों का खतरा मंडरा सकता है, क्योंकि भारत पाकिस्तान को दवाइयों के कच्चे माल का 30 से 40 फीसदी हिस्सा निर्यात करता है। पाकिस्तान के कई इलाकों में पहले से भी कैंसर के दवाईयों की सप्लाई नहीं हो रही थी। खैबर पख्तुनवा जैसे कई इलाकों में सरकारी सिस्टम फंड की कमी की वजह से कैंसर की दवाईयों को खरीदने में नाकाम है। ऐसे में अब अन्य दवाईयों के कच्चे माल की सप्लाई बंद होने से पाकिस्तान के स्वास्थ्य सिस्टम पर बड़ा असर पड़ सकता है।
पाकिस्तान की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री ने दवाओं के लिए पूर्ति सुरक्षित करने के लिए आपातकालीन तैयारियां शुरू कर दी हैं। भारत से दवा आपूर्ति बंद होने के कारण देश में एंटी-रबीज टीके, एंटी-स्नेक वेनम, कैंसर उपचार, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी और अन्य महत्वपूर्ण बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स की कमी हो सकती है। भारत से दवाइयों का आयात बंद होने के बाद पाकिस्तान अब चीन, रूस और कई यूरोपीय देशों से वैकल्पिक स्रोतों की तलाश में जुट गया है। हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि पाकिस्तान को दवाओं के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
Shortage of medicines in Pakistan : कैंसर की दवाओं के लिए पहले ही जूझ रहा पाक
डाॅन की 21 अप्रैल को प्रकाशित खबर के मुताबिक पाकिस्तान पहले से ही कैंसर की दवाओं के लिए जूझ रहा है, पाकिस्तान में कई महीनों से कैंसर की दवाएं नहीं खरीदी गई हैं। ये रिपोर्ट भारत में हुए आंतकी हमले से पहले की है। एचएमसी में कैंसर विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर आबिद जमील ने भी सरकार से दवाएं खरीदने का अनुरोध किया था, जिससे ये साफ होता है कि पाकिस्तान में दवाओं को लेकर संकट के बादल छाए हुए हैं। ऐसे में भारत से व्यापार बंद होने के बाद पाकिस्तान को और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
पाकिस्तान पहले ही बुरे दौर से गुजर रहा है, क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है। ऐसे में भारत से दवाइयों का आयात बंद होने से पाकिस्तान की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि वैकल्पिक स्रोतों से दवाइयां आयात करने में पाकिस्तान को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा। इससे लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।