पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा उठाए गए कड़े कदमों के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा है कि वह इस हमले की “तटस्थ, पारदर्शी और विश्वसनीय जांच” के लिए तैयार हैं। यह पाकिस्तान का पुराना पैतरा है, जिसके जरिये वह दुनिया को गुमराह करना चाहता है। इससे पहले पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने पहलगाम हमले के हमलावरों को “स्वतंत्रता सेनानी” बताने की कोशिश की थी। इस क्रम में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो के बयान को भी देखा जाना चाहिए, जिन्होंने धमकी दी है कि “सिंधु हमारी है, उसमें या तो हमारा पानी बहेगा या भारत का खून”। पाकिस्तान से आ रहे ऐसे बयानों में बौखलाहट साफ देखी जा सकती है। पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि रद्द किए जाने के जवाब में 1972 का शिमला समझौता स्थगित करने का ऐलान किया है। यह कदम भी किसी न किसी रूप में कश्मीर को विवादित क्षेत्र बताने की कोशिश के रूप में देखा जाना चाहिए। शरीफ ने जिस कथित तटस्थ जांच की बात की है, उसके पीछे की मंशा को समझने की जरूरत है। इसके सााथ ही, पठानकोट हमले के समय जिस तरह पाकिस्तानी दल को जांच की इजाजत दी गई थी, उससे भी सबक लेने की जरूरत है, क्योंकि अंततः वह भी उसका एक पैतरा ही था। दरअसल पाकिस्तान के खिलाफ की गई कार्रवाईयों के साथ ही उसे कूटनीतिक रूप से अलग-थलग किए जाने की जरूरत है।