कर्रेमेटा से बप्पी राय की रिपोर्ट
बीजापुर-तेलंगाना बॉर्डर पर कर्रेमेटा पहाड़ी पर चल रहे अब तक के सबसे बड़े एंटी नक्सल ऑपरेशन( ANTI NAXAL OPERATION )के तहत पांचवें दिन भी मुठभेड़ जारी है।
पिछले पांच दिनों से कर्रेमेटा में पहाड़ी में चल अभियान में सुरक्षा बलों ने माओवादियों को गुफा का पता लगा लिया है। शनिवार शाम को सुरक्षा बलों को कर्रेमेटा पहाड़ी के क्षेत्र कर्रेगुट्टा में माओवादियों के आधार के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली एक गुफा का पता चला, जिसमें पीने के पानी के साथ-साथ विश्राम की भी सुविधा है। लेकिन कोई भी माओवादी वहां सुरक्षा बलों को नहीं मिला। ऐसी खबर है कि जब तक सुरक्षा बल वहां पहुंचे, माओवादी गुफाओं से भाग चुके थे।
द लेंस को मिली जानकारी के अनुसार जब सुरक्षा बलों ने कर्रेगुट्टा को घेर लिया, तो पहाड़ी पर मौजूद माओवादी नीचे नहीं उतर सके। ऐसे में उनके किसी दूसरी गुफा में चले जाने की संभावना जताई जा रही है। घेरेबंदी का सबसे खास असर नक्सलियों को सप्लाई होने वाले रसद पर पड़ रहा है। माओवादियों के टॉप लीडर्स तक खाने पीने की सामग्री नहीं पहुंच पा रही है। यदि वे पहाड़ी पर ही रहेंगे, तो माओवादियों का भोजन समाप्त हो जाएगा और वे भूख और प्यास की वजह से डिहाइड्रेशन के शिकार हो सकते हैं। विश्लेषकों का मानना है कि ऐसी परिस्थितियों में माओवादी ऐसी स्थिति में आ गए हैं जहां उन्हें लड़ने या आत्मसमर्पण करने के बीच निर्णय लेना होगा।
बीती रात भारी फायरिंग और बम धमाकों की आवाजें गूंजीं। सुबह से वायु सेना के हेलीकॉप्टर लगातार देखे जा रहे हैं। सुरक्षा बलों की तरफ से इलाके में हाई अलर्ट जारी किया गया है।
ग्रामीणों को गांव के बाहर और जंगलों मे जाने की शक्त मनाही है। ऑपरेशन संवेदनशील मोड़ पर है और बड़ी कार्रवाई की संभावना है। जानकारी मिली है कि माओवादियों के टॉप कमांडर को फोर्स ने घेर कर रखा हुआ है।
करीब 5 हजार जवानों के होने की खबर हैं। वहीं, जिस जगह पर नक्सलियों को घेरा गया है, वहां करीब एक हजार नक्सलियों के होने की संभावना फोर्स ने जताई है। अभी तक 5 नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि खबर यह भी आ रही है कि तीन दर्जन से ज्यादा नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया है।
छग-तेलंगाना बॉर्डर पर चल रहे बड़े ऑपरेशन को रोकने माओवादियों की अपील, अब तक 5 नक्सली हो चुके हैं ढेर
टॉप कमांडरों की मौजूदगी की खुफिया रिपोर्ट पर ऑपरेशन, माओवादियों ने शांति वार्ता की अपील की
छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा के घने जंगलों में नक्सली टॉप कमांडरों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिलने के बाद लॉन्च ऑपरेशन को रोकने की अपील की है। माओवादी संगठन के उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश की तरफ से प्रेस रिलीज जारी की गई है। इस अभियान में अब तक पांच नक्सली ढेर किए जा चुके हैं। गोपनीय तरीके से भारतीय सेना के गरुड़ कमांडों को बस्तर पहुंचाया गया और इस ऑपरेशन को लॉन्च किया गया है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि इस ऑपरेशन में माओवादियों के टॉप लीडर्स फोर्स के बीच में फंस गए हैं।
तीन दिन से चल रहे इस ऑपरेशन के लॉन्च होने के बाद शुक्रवार को माओवादियों की तरफ से इस अभियान को रोकने की अपील की गई है। रिलीज में कहा गया है कि सभी लोग चाहते हैं कि समस्या का समाधान शांति वार्ता के जरिए हो। शांति वार्ता के लिए हमारी पार्टी हमेशा तैयार है।
प्रेस रिलीज में कहा गया है हमारी पार्टी के केन्द्रीय कमेटी ने भी शांति वार्ता को लेकर पत्र जारी किए थे। विश्वास की कमी को दूूर करने के लिए हमारी तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सरकार की मंशा अलग दिख रही है। सरकार दमन व हिंसा के जरिए समाधान चाह रही है, इसलिए बीजापुर-तेलंगाना सीमा पर एक बड़ा सैन्य अभियान को लॉन्च किया गया है। इस अभियान को तुरंत रोकना चाहिए।
बता दें कि यह ऑपरेशन हाल के वर्षों में सबसे बड़े अभियानों में से एक है। इस मिशन में भारतीय वायुसेना के गरुड़ कमांडो की तैनाती ने ऑपरेशन को और मजबूती दिया है। इसमें गरुड़ कमांडो के अलावा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), कोबरा (CoBRA), जिला रिजर्व गार्ड (DRG) और छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस की संयुक्त टीम शामिल हैं।
पांच दिन पहले पहुंचे गरुड़ कमांडो, तीन दिन पहले ऑपरेशन लॉन्च
अब तक मिली जानकारी के अनुसार लगभग पांच दिन पहले रायपुर हवाई अड्डे पर चार वायुसेना हेलीकॉप्टरों के जरिए 20 से अधिक गरुड़ कमांडो उतरे थे। गोपनीय तरीके से इन कमांडो को बस्तर क्षेत्र में पहुंचाया गया। बुधवार को भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने तेलंगाना के जंगलों में नक्सली ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिससे जमीनी कार्रवाई को बल मिला।
केंद्रीय गृहमंत्री ने हाल ही में छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान जरूरत पड़ने पर गरुड़ कमांडो को तैनात करने का संकेत दिया था। बीजापुर में चल रहे इस ऑपरेशन में केंद्रीय और राज्य बलों के बीच गहन समन्वय देखा जा रहा है जिसमें नक्सलियों के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है।
यह ऑपरेशन सरकार की 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने की रणनीति का हिस्सा है। गरुड़ कमांडो, CRPF, CoBRA, DRG और राज्य पुलिस की संयुक्त तैनाती नक्सली नेटवर्क को ध्वस्त करने पर काम कर रही है । ऑपरेशन के जारी रहने के साथ ही सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं और क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए प्रयासरत हैं।
21 अप्रैल को गृहमंत्री अमित शाह से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा के साथ पूरी सरकार की नक्सलवाद को लेकर बैठक हुई थी। बैठक में हाल के महीनों में राज्य में चलाए गए ऑपरेशनों में कई नक्सली मारे गए या गिरफ्तार हुए या आत्मसमर्पण को लेकर चर्चा हुई थी। मुख्यमंत्री के दिल्ली से लौटने के बाद से ही इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।