नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के माध्यम से वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 (Waqf Amendment Bill) को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में एक प्रारंभिक हलफनामा दायर किया है। हलफनामे में इस तर्क का खंडन किया गया है कि यह कानून संविधान के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
केंद्र ने कहा कि संशोधन केवल संपत्तियों के प्रबंधन के संबंध में धर्मनिरपेक्ष पहलू स्थापित करने के लिए हैं और इसलिए, संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत गारंटीकृत धार्मिक स्वतंत्रता का कोई उल्लंघन नहीं है। इसने जोर देकर कहा कि 2025 का संशोधन अधिनियम पूरी तरह से राज्य की रेगुलेटरी पावर के अंतर्गत आता है।
हलफनामे में कहा गया है, “वक्फ अधिनियम, 1995 ने वक्फ संपत्ति को वैध वैधानिक मान्यता प्रदान की और यह अपरिवर्तित बना हुआ है। मुस्लिम व्यक्ति या समुदाय के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करना जारी रखता है। इस तरह की संपत्ति को लेकर धर्मनिरपेक्ष प्रावधान करना और ऐसी संपत्तियों के प्रबंधन सहित उनकी बर्बादी या दुरुपयोग को रोकना संवैधानिक ढांचे के तहत स्वीकार्य है।