नई दिल्ली। (Medha Patkar arrested) नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को शुक्रवार को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी 24 साल पुराने एक मानहानि मामले में हुई है, जो वर्तमान उपराज्यपाल (एलजी) वी.के. सक्सेना द्वारा दर्ज कराया गया था।
साकेत जिला न्यायालय ने गुरुवार को मेधा पाटकर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था। पाटकर पर अदालत की अवमानना के एक मामले में जुर्माना न भरने और अदालत के समक्ष पेश न होने का आरोप है। दिल्ली पुलिस ने निजामुद्दीन में मेधा पाटकर के आवास से उन्हें हिरासत में लिया और साकेत कोर्ट में पेश किया गया था। हालांकि उन्हें 7 घंटे बाद जमानत मिल गई थी।
यह मामला साल 2000 का है, जब मेधा पाटकर ने वी.के. सक्सेना को “कायर” कहा था और उन पर हवाला लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाया था। उस समय सक्सेना गुजरात की एक गैर-सरकारी संस्था के प्रमुख थे, जो सरदार सरोवर परियोजना का समर्थन कर रही थी, जबकि पाटकर इस परियोजना के खिलाफ आंदोलन चला रही थीं।
पाटकर ने 25 नवंबर 2000 को एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया था कि सक्सेना गुप्त रूप से आंदोलन का समर्थन कर रहे थे और उन्होंने नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) को एक चेक भेजा था, जो बाद में बाउंस हो गया था।
Medha Patkar arrested : जुलाई 2024 में मिली थी जमानत
पिछले साल मई में मजिस्ट्रेट अदालत ने पाटकर को मानहानि का दोषी ठहराया और उन्हें तीन महीने की जेल की सजा सुनाई, साथ ही सक्सेना को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया। हालांकि, उनकी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए 29 जुलाई 2024 को उन्हें जमानत दे दी गई थी, लेकिन मुआवजा और प्रोबेशन बॉन्ड की शर्तें लागू रहीं।
8 अप्रैल को सेशंस कोर्ट ने उन्हें एक साल की प्रोबेशन सजा दी थी। बुधवार को पाटकर ने हाई कोर्ट में लंबित अपील का हवाला देते हुए कार्रवाई रोकने की मांग की, जिसे दिल्ली की अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उच्च न्यायालय ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया है।
अदालत ने यह भी कहा कि पाटकर जानबूझकर अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रही हैं और 8 अप्रैल के आदेश का पालन नहीं कर रही हैं। इसके बाद शुक्रवार को उन्हें गिरफ्तार किया गया।