द लेंस डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष और प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन ( Dr K Kasturirangan ) का आज 25 अप्रैल शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। इसरो के अनुसार डॉ. कस्तूरीरंगन ने सुबह 10:43 बजे अपने निवास पर अंतिम सांस ली। उनकी मृत्यु की खबर से वैज्ञानिक समुदाय और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है।

डॉ. कस्तूरीरंगन का जीवन और योगदान
डॉ. कस्तूरीरंगन का जन्म 24 अक्टूबर 1940 को केरल के एर्नाकुलम में हुआ था। उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातकोत्तर और अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी से उच्च ऊर्जा खगोल विज्ञान में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी। उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता और अनुसंधान ने उन्हें इसरो में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर प्रदान किया।
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1994 से 2003 तक इसरो के अध्यक्ष के रूप में डॉ. कस्तूरीरंगन ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके नेतृत्व में पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) और जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) का विकास और परिचालन हुआ जिसने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने भारत के पहले दो प्रायोगिक पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों, भास्कर-I और II, के लिए प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

अंतरिक्ष के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, और पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया। इसके अलावा उन्होंने 200 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए और छह पुस्तकों का संपादन किया, जो अंतरिक्ष विज्ञान और खगोल विज्ञान में उनके गहन प्रभाव को दर्शाता है।
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शिक्षा नीति में योगदान
डॉ. कस्तूरीरंगन केवल अंतरिक्ष वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि शिक्षा सुधार के क्षेत्र में भी एक दूरदर्शी नेता थे। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की मसौदा समिति की अध्यक्षता की जिसने भारत की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक और समकालीन आवश्यकताओं के अनुरूप बदलने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के चांसलर और कर्नाटक नॉलेज कमीशन के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. कस्तूरीरंगन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, “वह भारत की वैज्ञानिक और शैक्षिक यात्रा में एक विशाल व्यक्तित्व थे। उनकी दूरदर्शी नेतृत्व और निस्वार्थ योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।”
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने उन्हें एक “दूरदर्शी वैज्ञानिक” बताते हुए कहा कि उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी। इसरो ने भी अपने बयान में उन्हें भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का “मुख्य वास्तुकार” करार दिया।
डॉ. कस्तूरीरंगन के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रविवार 27 अप्रैल को बेंगलुरु के रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक रखा जाएगा।