माओवादी संगठन के उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश की तरफ से प्रेस रिलीज जारी, कहा – समस्या का समाधान शांति वार्ता के जरिए हो
लेंस ब्यूरो। बस्तर/रायपुर
छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा ( CG TELANGANA NAXAL OPEARTION) के घने जंगलों में नक्सली टॉप कमांडरों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिलने के बाद लॉन्च ऑपरेशन को रोकने की अपील की है। माओवादी संगठन के उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश की तरफ से प्रेस रिलीज जारी की गई है। इस अभियान में अब तक पांच नक्सली ढेर किए जा चुके हैं। गोपनीय तरीके से भारतीय सेना के गरुड़ कमांडों को बस्तर पहुंचाया गया और इस ऑपरेशन को लॉन्च किया गया है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि इस ऑपरेशन में माओवादियों के टॉप लीडर्स फोर्स के बीच में फंस गए हैं।

तीन दिन से चल रहे इस ऑपरेशन के लॉन्च होने के बाद शुक्रवार को माओवादियों की तरफ से इस अभियान को रोकने की अपील की गई है। रिलीज में कहा गया है कि सभी लोग चाहते हैं कि समस्या का समाधान शांति वार्ता के जरिए हो। शांति वार्ता के लिए हमारी पार्टी हमेशा तैयार है।
प्रेस रिलीज में कहा गया है हमारी पार्टी के केन्द्रीय कमेटी ने भी शांति वार्ता को लेकर पत्र जारी किए थे। विश्वास की कमी को दूूर करने के लिए हमारी तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सरकार की मंशा अलग दिख रही है। सरकार दमन व हिंसा के जरिए समाधान चाह रही है, इसलिए बीजापुर-तेलंगाना सीमा पर एक बड़ा सैन्य अभियान को लॉन्च किया गया है। इस अभियान को तुरंत रोकना चाहिए।
बता दें कि यह ऑपरेशन हाल के वर्षों में सबसे बड़े अभियानों में से एक है। इस मिशन में भारतीय वायुसेना के गरुड़ कमांडो की तैनाती ने ऑपरेशन को और मजबूती दिया है। इसमें गरुड़ कमांडो के अलावा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), कोबरा (CoBRA), जिला रिजर्व गार्ड (DRG) और छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस की संयुक्त टीम शामिल हैं।
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पांच दिन पहले पहुंचे गरुड़ कमांडो, तीन दिन पहले ऑपरेशन लॉन्च
अब तक मिली जानकारी के अनुसार लगभग पांच दिन पहले रायपुर हवाई अड्डे पर चार वायुसेना हेलीकॉप्टरों के जरिए 20 से अधिक गरुड़ कमांडो उतरे थे। गोपनीय तरीके से इन कमांडो को बस्तर क्षेत्र में पहुंचाया गया। बुधवार को भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने तेलंगाना के जंगलों में नक्सली ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिससे जमीनी कार्रवाई को बल मिला।

केंद्रीय गृहमंत्री ने हाल ही में छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान जरूरत पड़ने पर गरुड़ कमांडो को तैनात करने का संकेत दिया था। बीजापुर में चल रहे इस ऑपरेशन में केंद्रीय और राज्य बलों के बीच गहन समन्वय देखा जा रहा है जिसमें नक्सलियों के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है।
यह ऑपरेशन सरकार की 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने की रणनीति का हिस्सा है। गरुड़ कमांडो, CRPF, CoBRA, DRG और राज्य पुलिस की संयुक्त तैनाती नक्सली नेटवर्क को ध्वस्त करने पर काम कर रही है । ऑपरेशन के जारी रहने के साथ ही सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं और क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए प्रयासरत हैं।
21 अप्रैल को गृहमंत्री अमित शाह से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा के साथ पूरी सरकार की नक्सलवाद को लेकर बैठक हुई थी। बैठक में हाल के महीनों में राज्य में चलाए गए ऑपरेशनों में कई नक्सली मारे गए या गिरफ्तार हुए या आत्मसमर्पण को लेकर चर्चा हुई थी। मुख्यमंत्री के दिल्ली से लौटने के बाद से ही इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।
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3 हजार फोर्स ने घेरा कर्रेगट्टा पहाड़ी को
छत्तीसगढ़-तेलंगाना-महाराष्ट्र की सीमा पर नक्सलियों के सेफ जोन सुरक्षाबलों का अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन जारी है। करीब 3 हजार जवानों ने कर्रेगट्टा की पहाड़ियों में कई बड़े नक्सल लीडर और उनकी बटालियन को घेर लिया है। यहां करीब 300 से ज्यादा नक्सलियों के होने की सूचना है। दोनों ओर से रुक-रूककर फायरिंग भी हो रही है। दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में करीब 3 से 5 नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। तेलंगाना, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ इन तीनों राज्यों के हजारों की संख्या में जवान ऑपरेशन पर हैं।
इस ऑपरेशन में वायुसेना के MI-17 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे जवानों तक हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है। इस ऑपरेशन में डीआरजी बस्तर फाइटर, कोबरा, सीआरपीएफ और एसटीएफ के जवान शामिल है। ये जवान धीरे –धीरे नक्सलियों की ओर बढ़ रहें। हाड़ियों की कुछ श्रृंखला ऐसी है जो 40 से 50 मीटर खड़ी है। नक्सलियों के पास भारी मात्रा में असलहा-बारूद है और यहां छिपने के लिए नक्सलियों ने दर्जनों बंकर बनाकर रखे हैं।