रायपुर। छत्तीसगढ़ के अलग-अलग 22 संगठनों ने बस्तर में शांति स्थापना के लिए सरकार और माओवादियों से तत्काल युद्ध विराम (Yuddh Viram at Bastar)की अपील की है। संगठनों की तरफ से एक संयुक्त प्रेस नोट जारी कर कहा गया है कि शांति वार्ता शुरू करने दिशा में यह पहला कदम होना चाहिए, ताकि शांति वार्ता के लिए ईमानदार होने के प्रति दोनों पक्षों की ओर से आम जनता में भरोसा पैदा हो सके। सभी संगठनों ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि बस्तर में शांति स्थापना का मुद्दा केवल सरकार और माओवादियों के बीच का आपसी मामला नहीं है। बस्तर की जनता इसका प्रमुख पक्ष है, जो माओवादियों और सरकार प्रायोजित दमन-उत्पीड़न का शिकार है। जनता की मांगों को ध्यान में रखे बिना और उनकी समस्याओं को हल किए बिना कोई भी वार्ता सार्थक नहीं हो सकती।
दल्ली राजहरा में हुई 22 संगठनों की संयुक्त बैठक में संगठनों और आंदोलनों के 150 से ज्यादा प्रतिनिधि इकट्ठा हुए थे। इन्होंने बस्तर में निर्दोष आदिवासियों की हत्या, दमन और फर्जी मामलों में उनकी गिरफ्तारियों की निंदा की और पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की भी मांग की। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन से जुड़े विभिन्न घटक जन संगठनों ने आम जनता की ओर से बातों को पुरजोर ढंग से उठाने का फैसला किया है। इस संबंध में एक प्रतिनिधि मंडल शीघ्र ही राज्यपाल से मुलाकात कर हस्तक्षेप की मांग करेगा।
बैठक में छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन, छत्तीसगढ़ पीयूसीएल, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्त्ता समिति), प्रदेश किसान संघ, गुरु घासीदास सेवादार संघ, छत्तीसगढ़ किसान सभा (अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध), रेला सांस्कृतिक मंच, भारत जन आन्दोलन, आदिवासी भारत महासभा, रावघाट संघर्ष समिति, छत्तीसगढ़ महिला मुक्ति मोर्चा, नव लोक जनवादी मंच, रेवोल्यूशनरी कल्चरल फोरम, जन संघर्ष मोर्चा, जन मुक्ति मोर्चा, लोक सृजनहार यूनियन, प्रगतिशील किसान संगठन, गांव बचाओ समिति मुंगेली, जशपुर विकास समिति, ईसाई अधिकार संगठन (जशपुर), दलित आदिवासी अधिकार मंच (पिथौरा) के सदस्य शामिल थे।