पहलगाम में पर्यटकों पर हुए भीषण आतंकी हमले के बाद सारा देश दुख और गुस्से से भरा हुआ है और ऐसे में जरूरी था कि पाकिस्तान को न केवल एकजुटता से कड़ा संदेश जाए, बल्कि उस पर ऐसी कार्रवाई भी हो, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ जाए। इस एकजुटता का संदेश रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक से भी निकला, जहां से निकलकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आतंक के खिलाफ सारा देश एकजुट है।
इससे पहले बुधवार शाम को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार ने 1960 की उस ऐतिहासिक सिंधु जल बंटवारा संधि को स्थगित कर दिया है, जिसे दोनों देशों के बीच 1965, 1971 और 1999 के युद्धों के दौरान भी महफूज रखा गया था। इसके साथ ही वाघा और अटारी बॉर्डर को बंद करने, पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द करने और पाकिस्तानी दूतावास को बंद करने जैसे सख्त कदम उठाए गए हैं।
दूसरी ओर जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान ने भारतीय नागरिकों का वीजा रद्द करने के साथ ही 1972 के ऐतिहासिक शिमला समझौते को स्थगित कर दिया है। कहने की जरूरत नहीं कि पहले ही बेहद तनावपूर्ण भारत पाकिस्तान के रिश्ते आज सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए हैं।
कभी जम्हूरियत, इंसानियत और कश्मीरियत की बात करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के संदर्भ में कहा था कि आप अपना पड़ोसी नहीं बदल सकते। करीब दो दशक पहले 2005 में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने वादा किया था कि पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवाद को अंजाम होने नहीं देगा।
यही वह दौर था, जब 2006 में जनरल मुशर्रफ और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच हवाना में हुई द्विपक्षीय बातचीत के बाद जारी साझा बयान में नियंत्रण रेखा पर विश्वास बहाली, जिसमें बस सेवाएं शामिल थीं, पर चर्चा हुई थी। इसके दो साल बाद 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई में भीषण धमाका कर जता दिया था कि जमीन पर कुछ भी नहीं बदला है।
यह बताने की जरूरत नहीं है कि भारत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से पीड़ित रहा है, जिसकी ओर अमेरिका सहित पश्चिम का ध्यान 9/11 के हमले के बाद गया था। राजनीतिक और आर्थिक रूप से बदहाल पाकिस्तान के हुक्मरानों के लिए आतंकवाद आखिरी शरण है। हैरत नहीं कि पहलगाम में हमले से कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख असीम मुनीर ने भड़काने वाला बयान देते हुए कश्मीर को पाकिस्तान की नस बताया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सिंधु नदी समझौते को स्थगित किए जाने को जंग के एलान का बताया है!
यह वक्त यों तो चुनाव रैली का नहीं था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार की रैली से पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है। दरअसल जरूरत आतंकवाद को सैन्य तरीके से और पाकिस्तान को कूटनीतिक तरीके जवाब देने की है। भारत ने जो कदम उठाए हैं, उनके साथ ही कूटनीतिक कोशिशें इस बात की होनी चाहिए कि पाकिस्तान को आतंकवाद को पोषित करने वाले देश के रूप में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में फिर से शामिल करवाया जाए, जहां से वह अक्टूबर 2022 में बच निकला है।