Shimla Agreement: पाकिस्तान ने भारत के साथ 1972 के ऐतिहासिक शिमला समझौते सहित सभी द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित करने का ऐलान किया है। यह फैसला पाकिस्तान की नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की गुरुवार को हुई आपात बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने की। यह कदम भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उठाए गए सख्त कदमों के जवाब में आया है।
पाकिस्तानी मीडिया की खबरों के अनुसार, भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करना उसकी 240 करोड़ जनता के लिए “लाइफलाइन” को खतरे में डालने वाला कदम है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “भारत के हालिया बयानों और कदमों का जवाब देने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी।” इसके अलावा, पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पहलगाम हमले को पाकिस्तान से जोड़ने से इनकार करते हुए इसे भारत का “घरेलू विद्रोह” करार दिया।
इसके अलावा पाकिस्तान ने तत्काल प्रभाव से वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया है, जिससे भारत-पाकिस्तान के बीच लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह रोक लग गई है। भारत से वैध वीजा पर पाकिस्तान में मौजूद लोगों को 30 अप्रैल तक वापस लौटने का आदेश दिया गया है। साथ ही SAARC वीजा योजना के तहत भारतीयों को जारी सभी वीजा रद्द कर दिए गए हैं, हालांकि सिख तीर्थयात्रियों को इस नियम से छूट दी गई है।
पाकिस्तान ने भारत पर आतंकवाद फैलाने और कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया। साथ ही, उसने कहा कि वह भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी आवाज बुलंद करेगा। पाकिस्तान ने भारत के सिंधु जल संधि को निलंबित करने के कदम को “युद्ध की तरह” मानने की धमकी दी है और इसे अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन बताया।
Shimla Agreement: क्या है शिमला समझौता
शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था। यह समझौता 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद हुआ, जिसमें पाकिस्तान की हार हुई थी और बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरा था। समझौते में तय हुआ था कि दोनों देश कश्मीर सहित सभी विवादों को आपसी बातचीत से सुलझाएंगे और नियंत्रण रेखा का सम्मान करेंगे।