[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
यमुना का जलस्तर खतरनाक स्तर पर,दिल्ली में बाढ़ का खतरा मंडराया
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के 12 आरोपियों को बरी करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक
अनिल अंबानी के 35 से ज्यादा ठिकानों पर ईडी का छापा
LIVE संसद का मानसून सत्र : लोकसभा में हंगामा, राज्यसभा में 5 सांसदों की विदाई, अमित शाह पहुंचे लोकसभा
बिहार में एक और हत्या, इस बार कबाड़ कारोबारी को मारी गोली
25 को दिल्ली में कांग्रेस के पिछड़े वर्ग के नेताओं का जमावड़ा
फिल्म समीक्षक अजीत राय का निधन
चंद्रचूड़, आरिफ, हरिवंश, मनोज या फिर नीतीश कौन बनेगा अगला उपराष्ट्रपति
आंध्र प्रदेश शराब घोटाले की चार्जशीट में चौंकाने वाला दावा, हर महीने ₹60 करोड़ की रिश्वत जगन तक पहुंची
जस्टिस वर्मा की सुनवाई से CJI ने खुद को क्यों किया अलग?
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.

Home » कश्मीरियत के साथ खड़े होने का वक्त

लेंस संपादकीय

कश्मीरियत के साथ खड़े होने का वक्त

Editorial Board
Last updated: April 23, 2025 7:47 pm
Editorial Board
Share
SHARE

ऐसे वक्त में जब जम्मू-कश्मीर में सब कुछ सामान्य होने का भरोसा जताया जा रहा था, पहलगाम में पर्यटकों पर हुआ भीषण आतंकी हमला स्मरण पत्र की तरह है कि आतंकवादी किसी मौके की तलाश में थे। इस हमले में मरने वालों की संख्या 28 हो गई है, जिनमें देश भर से आए 26 पर्यटक और दो विदेशी नागरिक शामिल हैं। यह इत्तफाक ही है कि प्रधानमंत्री मोदी 19 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में नई वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के साथ ही कुछ अन्य परियोजनाओं के शिलान्यास के लिए राज्य के दौरे पर आने वाले थे, लेकिन खराब मौसम के कारण उनका प्रवास रद्द कर दिया गया। आतंकवाद के लंबे दौर, फिर 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से उपजी राजनीतिक उथल-पुथल और कोविड-19 लॉकडाउन के बाद, कश्मीर आखिरकार उबरने लगा था। 2016 की नोटबंदी के फैसले ने भी जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को खासा प्रभावित किया था। इधर कुछ महीनों में वहां पर्यटकों की तादाद अच्छी-खासी बढ़ी है और पहलगाम में भी इस हमले के समय काफी लोग मौजूद थे। दूसरी ओर पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख ने हाल ही में भड़काने वाला बयान दिया था, सुरक्षा विशेषज्ञ यह मानते हैं कि इसका संज्ञान लिया जाना चाहिए था। वास्तव में यह हमला कश्मीरियत और उस भरोसे पर किया गया है, जिसके सहारे हजारों पर्यटक कश्मीर आने लगे हैं। गौर किया जाना चाहिए कि पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 को निष्प्रभावी करने और इस सूबे को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद यहां यह सबसे बड़ा आतंकी हमला है। इस राजनीतिक बदलाव के बाद सूबे के लोगों को लंबे समय तक लॉकडाउन में रहना पड़ा था। इसके अलावा वहां के सियासी दलों के नेताओं को भी लंबे समय तक नजरबंद किया गया था। लंबी तकलीफों के बावजूद वहां कश्मीरियत जिंदा रही है, जिसकी कहानियां इस हमले के बाद भी सामने आ रही हैं। मसलन, घोडे़ वाले सैयद आदिल हुसैन को ही देखिए, जिसने जांबाजी के साथ आतंकियों का सामना करते हुए जान दे दी। बीती सर्दियों में जब श्रीनगर-सोनमर्ग राजमार्ग में हुई भारी बर्फबारी में सैकड़ों पर्यटक फंस गए थे, तब स्थानीय लोगों ने न केवल उनकी मदद की थी, बल्कि अपने घर उनके लिए खोल दिए थे। यह जानने के लिए 1970 के दशक की फिल्में देखने की जरूरत नहीं है कि पर्यटन आम कश्मीरियों की रोजी-रोटी से जुड़ा हुआ है, और यह भी कि यहां से लौटने वाले पर्यटक सूखे मेवे और सेब-सी मीठी यादें लेकर लौटते हैं। इस हमले ने इस रिश्ते पर चोट की है। इस हमले ने बांटने वाले मंसूबों को भी हवा दी है। इसलिए ऐसे नाजुक समय में संयम की जरूरत है। हम फिर दोहरा रहे हैं कि यह हमला किसी जाति या धर्म नहीं, बल्कि मानवता पर किया गया है।
यह वक्त हिसाब-किताब का नहीं है, फिर भी सवाल जवाबदेही का है। सवाल, उन दावों का है, जिनमें कहा जाता रहा है कि कश्मीर में सब कुछ सामान्य हो गया है। सवाल उन मंसूबों का है, जिन्हें कश्मीर से मतलब है, कश्मीरियों से नहीं। इस हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के आम लोगों और वहां के सियासी दलों ने जैसा संयम दिखाया है, उसकी आज सारे देश में जरूरत है। आज कश्मीरियत के साथ खड़े होने की जरूरत है। आतंकियों को जवाब देने के लिए हमारे सुरक्षा बल काफी हैं।

TAGGED:EditorialJammu and Kashmirपहलगाम आतंकी हमला
Share This Article
Email Copy Link Print
Previous Article पहलगाम आतंकी हमला वो 48 मिनट… जब मिनी स्‍वीटजरलैंड में आती रहीं गोलियाें की आवाजें, पहलगाम आतंकी हमले को टाइम लाइन से समझिए, कब क्‍या हुआ?
Next Article WATER ISSUE AT GARIYABAND पानी की समस्या पर किसानों का उबाल: सिंचाई अधिकारी को बनाया बंधक

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

शुभमन गिल बने भारत के नए टेस्ट कप्तान, इंग्लैंड दौरे से शुरू होगी नई पारी

द लेंस डेस्क । shubman gill: भारतीय क्रिकेट में एक नए युग की शुरुआत हो…

By Amandeep Singh

वफादार हुए खूंखार, साइकल चला रहे बच्चे पर कुत्तों ने किया हमला, शरीर से नोच खाया मांस

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी में आवारा कुत्ते इंसानी मांस के भूखे हो गए हैं। गुरुवार…

By The Lens Desk

शांति नगर के रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट को साय सरकार की हरी झंडी, बीटीआई मैदान के आसपास भी टूटेंगे जर्जर भवन और मकान

रायपुर। छत्तीसगढ़ मंत्रीमंडल की सोमवार को हुई बैठक में शांति नगर के रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट को…

By Lens News

You Might Also Like

BJP internal politics
लेंस संपादकीय

भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष कब तक ?

By Editorial Board
Dr Ali khan haryana university
English

Kafka reified

By Editorial Board
Dalai Lama birthday
English

A spiritual theocracy

By Editorial Board
लेंस संपादकीय

महाराष्ट्र के 39 लाख मतदाता!

By The Lens Desk
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?