National Herald case: रायपुर। नेशनल हेराल्ड मामलें में सियासी गलियारे में खींचतान मची हुई है। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने राजीव भवन रायपुर में प्रेसवार्ता कर नेशनल हेराल्ड मामलें में भाजपा पर झूठ परोसने का आरोप लगाया है। उन्होंने एक-एक कर भाजपा के 9 झूठ गिनाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा नेशनल हेराल्ड मामले में लगातार राहुल गांधी, सोनिया गांधी के खिलाफ झूठ परोस रही है। भाजपा और उसका तंत्र AJL की संपत्तियों के मूल्य के बारे में भी झूठ बोलता है। भाजपा, जिसके पूर्वजों ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीयों के खिलाफ अंग्रेजों का साथ दिया था, और जो स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को मिटाने पर तुली हुई है, वह स्वतंत्रता संग्राम और विशेष रूप से स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस पार्टी की भूमिका को कलंकित करने के लिए दुष्प्रचार का इस्तेमाल कर रही है।
National Herald case: ईडी की चार्जशीट राजनीतिक षड़यंत्र
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि “कांग्रेस पार्टी के ऐतिहासिक गुजरात अधिवेशन से बौखलाए मोदी-शाह की जोड़ी ने फिर से कांग्रेस पार्टी पर प्रवर्तन निदेशालय (ED)-अपनी पसंदीदा आपराधिक वसूली मशीन- को छोड़ दिया है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर तथाकथित आरोप पत्र कुछ और नहीं बल्कि विशुद्ध राजनीतिक षड़यंत्र है। गांधी परिवार का हर सदस्य- चाहे वह राजनीति में हो या नहीं-भाजपा द्वारा निशाना बनाया जा रहा है।‘’
National Herald case: ईडी को भाजपा ने बनाया Election Department
उन्होंने कहा कि ‘’पहली बार मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप ऐसे मामले में लगाए जा रहे है, जिसमें एक भी पैसा या संपत्ति हस्तांतरित नहीं की गई है। बैलेंस शीट को कर्ज मुक्त बनाने के लिए कर्ज को इक्विटी में बदला जाता है। यह एक आम प्रथा है और पूरी तरह से कानूनी है। जब पैसा ही नहीं है, तो लॉन्ड्रिंग कहां है? ये एक षड़यंत्रकारी राजनीतिक ठगी है। मोदी सरकार ने ईडी को अपना Election Department बना लिया है और बेशर्मी से और बार-बार प्रतिशोध के लिए इसका दुरुपयोग कर रही है। ईडी के मामलों में सजा की दर सिर्फ 1 प्रतिशत है। इसके अलावा, ईडी ने जो राजनीतिक मामले दर्ज किए है, उनमें से 98 प्रतिश तमामले सत्ताधारी पार्टी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ है।‘’
National Herald case: सुप्रिया श्रीनेत ने भाजपा के इन बातों को बताया झूठ
1. भाजपा और उसका तंत्र AJL की संपत्तियों के मूल्य के बारे में भी झूठ बोलता है, जो 5000 करोड़ रुपये का कुछ काल्पनिक झूठ है, यह आंकड़ा उनकी सुविधा के अनुसार बदलता रहता है। वास्तविकता यह है कि मोदी सरकार के आयकर विभाग ने इसकी सभी संपत्तियों का मूल्य 413 करोड़ रुपये ओका है।
2. 2013 में, सुब्रमण्यम स्वामी ने अदालत में एक मामला दायर किया, जिसे उन्होंने 2020 तक आगे बढ़ाया। अजीब बात यह है कि स्वामी ने अपनी खुद की जिरह पर रोक लगाने की मांग की और बदले में अपने ही मामले के खिलाफ।
3. इससे पहले, 2012 में. सुब्रमण्यम स्वामी की चुनाव आयोग में की गई शिकायत को खारिज कर दिया गया था। चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29 (बी) और 29 (सी) के तहत, इस बात पर कोई प्रतिबंध नहीं है कि कोई राजनीतिक दल अपने फंड का उपयोग कैसे कर सकता है। कांग्रेस ने आधिकारिक फाडलिंग में ऋण की घोषणा की थी और लेनदेन को सार्वजनिक किया था।
4. अगस्त 2015 में मामला ED को सौंपा गया और ED ने फाइल को रिकॉर्ड Par बंद कर दिया। मोदी सरकार ने सितंबर 2015 में तत्कालीन ED निदेशक श्री राजन कटोच को मामले से हटा दिया, जो राजनीतिक प्रतिशोध का स्पष्ट उदाहरण है।
5. कुछ साल बाद, 2021 में जब ED भाजपा की प्रत्यक्ष राजनीतिक जबरन वसूली मशीन बन गई तो मोदी-शाह ने ED के माध्यम से सरकार से मामला दर्ज करा दिया।
6. 2023 में ED ने एक अंतरिम कुर्की आदेश जारी किया, जिसकी पुष्टि 10 अप्रैल 2024 को एक न्यायाधिकरण ने की। तब म्क् के पास आरोपपत्र दाखिल करने के लिए 365 दिन थे। 365वें और अंतिम दिन, 9 अप्रैल 2025 को ईडी ने आरोपपत्र दाखिल किया, जिसकी रिपोर्ट केवल मीडिया में आ रही है, लेकिन आरोप पत्र की विषय-वस्तु अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है।
7. अगर कोई सबूत या वास्तविक गड़बड़ी होती, तो सरकार को आखिरी दिन तक इंतजार नहीं करना पड़ता। यह देरी एक ऐसे मामले के लिए हताशा को दर्शाती है, जो बहुत ही तुच्छ आधार पर है और मोदी सरकार के नैतिक-राजनीतिक दिवालियापन की बू भी आती है।
8. एक सफल पुनर्गठन के बाद AJL नेशनल हेराल्ड और नवजीवन अखबारों को छापता और प्रकाशित करता है और कौमी आवाज को ऑनलाइन प्रकाशित करता है। AJL अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में विभिन्न वेबसाइट और कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का प्रबंधन करता है और राष्ट्रीय स्तर पर इसकी अच्छी प्रिंट और डिजिटल उपस्थिति है।
9. नेशनल हेराल्ड अखबार में सरकारी विज्ञापनों को लेकर भाजपा द्वारा एक नया झूठा विवाद खड़ा किया जा रहा है। इस तर्क के अनुसार, भाजपा की राज्य सरकारें और केंद्र सरकार आरएसएस से जुड़े पंचजन्य और ऑर्गनाइजर या भाजपा के तरुण भारत में विज्ञापन क्यों देती हैं? अखबारों और टीवी चैनलों पर सरकारी विज्ञापन एक आम बात है। वास्तव में भाजपा की मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकारों को केरल के मलयालम अखबारों में हिंदी में विज्ञापन देने के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए। कांग्रेस पार्टी इस मामले को अदालतों में ले जाएगी लेकिन हम मोदी सरकार से डरने से इनकार करते हैं।
🔴The Lens की अन्य बड़ी खबरों के लिए हमारे YouTube चैनल को अभी फॉलो करें
👇हमारे Facebook पेज से जुड़ने के लिए यहां Click करें
✅The Lens के WhatsApp Group से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
🌏हमारे WhatsApp Channel से जुड़कर पाएं देश और दुनिया के तमाम Updates