जैन मंदिर विध्वंस : दिगंबर जैन मंदिर को हाल में गिराए जाने को लेकर मुंबई में जैन समुदाय के हजारों सदस्यों ने विशाल विरोध मार्च निकाला है। प्रत्यक्षदर्शियों ने ‘द लेंस’ को बताया कि यह मार्च ऐतिहासिक था। गौरतलब है कि शहर के विले पार्ले में 90 साल पुराने दिगंबर जैन मंदिर को हाल ही में गिराए जाने पर जैन समाज में गहरा रोष है।
मंदिर स्थल से शुरू हुआ यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन अंधेरी में बृहन्मुंबई नगर निगम कार्यालय की ओर बढ़ा। आज का अहिंसात्मक प्रदर्शन एक समुदाय की एकता और दुख का एक शक्तिशाली प्रदर्शन था, जो एकतरफा कार्रवाई से आहत था।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने मंदिर गिराए जाने की निंदा करते हुए कहा है कि हम मंदिर वहीं बनायेंगे। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। गौरतलब है कि हाल के दिनों में भाजपाशासित राज्यों में जैन समाज पर हमले बढे़ हैं।
जैन मंदिर विध्वंस : क्या है विवाद
नेमिनाथ सहकारी आवास सोसायटी के भीतर स्थित यह मंदिर 1930 के दशक से पूजा स्थल के रूप में खड़ा था। इस सप्ताह की शुरुआत में बीएमसी अधिकारियों ने इस ढांचे को ढहा दिया, यह दावा करते हुए कि यह मनोरंजन के लिए आरक्षित भूमि पर बना था। लेकिन जैन समुदाय का आरोप है कि विध्वंस अनुचित रूप से जल्दबाजी में किया गया, जबकि कानूनी कार्रवाईअभी भी जारी थी।
क्या कहता है मंदिर प्रबंधन
जैन मंदिर विध्वंस: मंदिर की प्रबंध समिति ने कहा कि शहर की एक सिविल अदालत ने 8 अप्रैल को विध्वंस के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील करने के लिए समय देने के लिए मौखिक रोक लगा दी थी। इसके बावजूद, बीएमसी ने 16 अप्रैल को विध्वंस शुरू कर दिया। ट्रस्टियों के अनुसार, नागरिक अधिकारियों ने पवित्र वस्तुओं और धार्मिक ग्रंथों को सुरक्षित रूप से हटाने के अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया और इसके बजाय तत्काल प्रभाव से संरचना को बुलडोजर से गिराना शुरू कर दिया।
ट्रस्टियों में से एक अनिल शाह ने कहा, “अधिकारियों ने हमारी दलीलों को नजरअंदाज किया, मूर्तियों पर चढ़ गए और पवित्र पुस्तकों को सड़क पर फेंक दिया। यह सिर्फ एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं थी, यह हमारी धार्मिक पवित्रता का उल्लंघन था।”
मुंबई हाईकोर्ट भी बुल्डोजिंग से नाराज
जैन मंदिर विध्वंस: बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में अवैध निर्माण से जुड़े एक अलग मामले में विध्वंस की कार्रवाई को लेकर खराब संचालन के लिए बीएमसी की आलोचना की हैं। विले पार्ले मंदिर के ध्वस्तीकरण या धार्मिक सामग्रियों के दुरुपयोग के आरोपों पर बीएमसी ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होने के बाद जैन समुदाय ने न्याय के लिए अपना अभियान जारी रखने की कसम खाई।
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