राजद नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में जब कहा कि भाजपा ने नीतीश कुमार को “हाईजैक” कर लिया है, तो जद (यू) ने पलटवार किया कि बिहार में मुख्यमंत्री पद की कोई वैकेंसी नहीं है! यह छींटाकसी बिहार की मौजूदा सियासत की तस्वीर पेश कर रही है, जहां कुछ महीने बाद चुनाव होने हैं। दरअसल बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री को उनकी पार्टी बिहार के मुख्यमंत्री पद के दावेदार की तरह देख रही है। तेजस्वी की नीतीश की टिप्पणी को राजद और कांग्रेस के महागठबंधन के मद्देनजर भी देखने की जरूरत है। बेशक, भाजपा नीतीश की अगुआई में विधानसभा चुनाव में जा रही है, लेकिन सबको पता है कि वक्फ बिल के पारित होने के बाद नीतीश आज कमजोर जमीन पर खड़े हैं। दूसरी ओर दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पर राहुल गांधी सहित अन्य कांग्रेसी नेताओं और तेजस्वी यादव की बैठक का संकेत यही है कि राजद और कांग्रेस एक साथ हैं, और दोनों को अंदाजा होगा कि मौजूदा परिस्थितियों में वे एकजुट होकर ही एनडीए का मुकाबला कर सकते हैं। बिहार में कांग्रेस दहाई अंकों के वोट फीसदी के लिए संघर्ष कर रही है, जिससे उसकी चुनौती तो स्पष्ट है, लेकिन दूसरी ओर तेजस्वी को भी समझना होगा कि पप्पू यादव या कन्हैया कुमार जैसे नेता उनके लिए ताकत ही बनेंगे, कमजोरी नहीं। जाहिर है, महागठबंधन एकजुट होकर और सामूहिक नेतृत्व के जरिये ही एनडीए को चुनौती दे सकता है।
महागठबंधन की जमीन

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