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लेंस संपादकीय

धर्म के नाम पर

Editorial Board
Last updated: April 13, 2025 1:57 pm
Editorial Board
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पखवाड़े भर पहले अलविदा नमाज के मौके पर उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों की भाजपा सरकारों ने कानून व्यवस्था के नाम पर सड़कों पर नमाज पर रोक लगा दी थी, लेकिन उन्हें सड़कों पर हिन्दू त्योहारों के मौकों पर सड़कों पर से निकलने वाली शोभा यात्राओं और भंडारों से एतराज नहीं है। यह बदल चुके भारत की तस्वीर है, जहां धर्म की आड़ में मनमानी करने वालों को सत्ता से खुला संरक्षण मिल रहा है। पहले रामनवमी और फिर हनुमान जयंती पर जिस तरह से सड़कों और सार्वजनिक जगहों को घेरा गया है, वैसा हर हिंदू त्योहारों के मौके पर आम हो गया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने धार्मिक आयोजनों को सरकार के दायरे से दूर रखा था, लेकिन केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से पिछले 11 सालों में यह संयम टूट गया है। उत्तर प्रदेश में 2017 में सत्ता में आई योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली भाजपा सरकार को यह लिहाज भी नहीं रहा कि वह केवल हिंदुओं की प्रतिनिधि नहीं है, बल्कि संवैधानिक रूप से वह सभी धर्मों की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है। जब खुद मुख्यमंत्री धार्मिक आधार पर भड़काऊ बयान देने वाले अपने पुलिस अधिकारियों का बचाव करते हैं, तो जमीनी स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। निस्संदेह सड़कों और सार्वजनिक जगहों को धार्मिक आयोजनों के लिए घेरने की इजाजत नहीं दी जा सकती, लेकिन कानून सबके लिए समान होना चाहिए।

TAGGED:EditorialReligious events and law and order
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