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दुनिया

हर 2 मिनट में छिन रही दुनिया में एक मां की सांस, भारत की स्थिति चिंताजनक, यूएन की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

पूनम ऋतु सेन
पूनम ऋतु सेन
Byपूनम ऋतु सेन
पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की...
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Published: April 11, 2025 1:18 PM
Last updated: April 16, 2025 2:56 AM
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Maternal Mortality Report
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Maternal Mortality Report : द लेंस डेस्क। सपना था एक नई जिंदगी को जन्म देने का लेकिन कई माताएं खुद जिंदगी की जंग हार गईं हैं। 2023 में हर दिन 700 से ज्यादा महिलाएं गर्भावस्था और प्रसव से जुड़े रोके जा सकने वाले कारणों से दुनिया छोड़ गईं। यानी हर दो मिनट में किसी एक माँ की सांसें थम रही हैं। यह दिल दहलाने वाली सच्चाई सामने आई है संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट Trends in Maternal Mortality 2000-2023 में जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूनिसेफ, यूएनएफपीए, विश्व बैंक समूह और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या की संयुक्त टीम ने मिलकर तैयार किया है।

खबर में खास
देशों का हालभारत : तरक्की के साथ चुनौतियाँएक माँ का संघर्ष ! Maternal Mortality Report :

वैश्विक तस्वीर : उम्मीद बनाम चुनौतियाँ

2023 में दुनियाभर में 2,60,000 मातृ मृत्यु दर्ज की गईं। यह संख्या 2000 की तुलना में 40 फीसदी कम है लेकिन 2016 के बाद सुधार की गति थम सी गई है। वैश्विक मातृ मृत्यु दर (MMR) अभी भी 1,00,000 जीवित जन्मों पर 197 मृत्यु है। यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG) के उस मकसद से बहुत दूर है जिसमें 2030 तक इसे 70 तक लाने का लक्ष्य है। उप-सहारा अफ्रीका में 70% मातृ मृत्यु के आंकड़े सामने आये हैं जबकि मध्य और दक्षिणी एशिया इसका 17% हिस्सा रखता है।

ये भी पढ़ें : High Court Notice to CGMSC: सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी पर हाईकोर्ट सख्त ,कहा -‘मशीनें शो पीस नहीं’, मुख्य सचिव और CGMSC को नोटिस । The Lens

देशों का हाल

दुनिया के देशों का हाल ठीक नहीं, केवल 47 फीसदी महिलाओं की मौत 4 देशों में हुई है जिनमें भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान और डेमोक्रेटिक कांगो के नाम शामिल हैं ।

नाइजीरिया में 75,000 मृत्यु (कुल का 28.7%)
भारत में 19,000 मृत्यु (7.2%), यानी हर दिन 52 माँओं की मौत ।
पाकिस्तान में 11,000 मृत्यु, यानी रोज 30 मृत्यु।

ये आंकड़े महज संख्याएँ नहीं हैं, बल्कि उन माँओं की अनकही कहानियाँ हैं जिन्हें रक्तस्राव, इंफेक्शन या प्रसव की जटिलताओं जैसे रोके जा सकने वाले कारणों ने हमसे छीन लिया।

ये भी पढ़ें : India’s fugitives : शिकंजे में तहव्वुर राणा, भारत के और भगौड़ों की वापसी कब ? The Lens

भारत : तरक्की के साथ चुनौतियाँ

भारत ने 2000 से 2023 तक मातृ मृत्यु दर में 78% की शानदार कमी की है। बेहतर अस्पताल प्रशिक्षित दाइयाँ और आपातकालीन देखभाल ने लाखों जिंदगियाँ बचाई हैं। लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि यहां हर दिन 52 प्रेगनेंट महिलाओं की मृत्यु हुई है। शहरों में जहाँ आधुनिक सुविधाएँ हैं वहीं गाँवों में कई बार बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ भी नहीं मिलतीं। भारत आज भी वैश्विक मातृ मृत्यु में नाइजीरिया के बाद दूसरे स्थान पर है।

एक माँ का संघर्ष ! Maternal Mortality Report :

सोचिए एक गाँव की गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू होती है। नजदीकी क्लिनिक मीलों दूर है रास्ते खराब और एम्बुलेंस का कोई भरोसा नहीं। दूसरी तरफ एक युद्धग्रस्त इलाके में जहाँ अस्पताल बंद हैं और दवाइयाँ नहीं। रिपोर्ट बताती है कि 37 अस्थिर या युद्धग्रस्त देशों में 64% मातृ मृत्यु होती हैं। फंडिंग की कमी और मानवीय संकट इस संकट को और गहरा रहे हैं।

SDG लक्ष्य तक पहुँचने के लिए अगले सात साल में हर साल 15% की कमी चाहिए। यह मुश्किल है लेकिन मध्य और दक्षिणी एशिया जैसे क्षेत्रों ने दिखाया है कि सही दिशा में कदम उठाए जाएँ तो बदलाव संभव है। हर दो मिनट में एक परिवार अपनी माँ को खो रहा है। ऐसे हालात में जल्द ही सही कदम उठाने होंगे क्योंकि ये रिपोर्ट फिलहाल 2023 तक के आंकड़ों को बताती है जबकि आगामी चुनौतियां कम नहीं ।

TAGGED:CLINICAL ISSUEINDIA DANGEROUS CONDITIONLABOUR PAINMATERNAL MORTALITY RATEPREGNANT WOMENSDGTRENDS IN MATERNAL MORTALITY REPORT 2000-2023UN POPULATIONUN REPORTUNFPAUNICEFwhoWORLD BANK
Byपूनम ऋतु सेन
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पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता पत्रकारिता की ओर खींच लाई। विगत 5 वर्षों से वीमेन, एजुकेशन, पॉलिटिकल, लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर लगातार खबर कर रहीं हैं और सेन्ट्रल इण्डिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। द लेंस में बतौर जर्नलिस्ट कुछ नया सीखने के उद्देश्य से फरवरी 2025 से सच की तलाश का सफर शुरू किया है।
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