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लेंस संपादकीय

यह अस्तित्व का संघर्ष है

Editorial Board
Last updated: April 13, 2025 2:18 pm
Editorial Board
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छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में एक हाथी के हमले में एक और व्यक्ति की मौत सिर्फ आंकड़े दर्ज करने का मामला नहीं है। बीते दस दिनों के भीतर ही इस इलाके में हाथियों के हमले में छह लोगों की मौत यहां हाथी-मानव संघर्ष की भीषण स्थिति को दिखा रही है, जिसका तुरंत संज्ञान लिए जाने की जरूरत है। यह हसदेव का वही क्षेत्र है जहां एक कॉरपोरेट को मिली कोयला खदान के लिए जंगल में अंधाधुंध कटाई चल रही है। यही वह क्षेत्र है, जहां दो दशक से हाथियों के लिए लेमरू कॉरिडोर प्रस्तावित है, और जो अब तक सरकारी फाइलों के जंगल में ही कहीं दफन है। हाथियों और मानव के सहजीवन की धज्जियां उड़ाते इस क्षेत्र में दरअसल सरकार और नीति नियंताओं को न तो आम ग्रामीणों की चिंता है न हाथियों की! अंधाधुंध कोयला खनन और जंगलों की बर्बादी ने हाथियों को आबादी की ओर घुसने को मजबूर किया है। सिर्फ बलरामपुर या सरगुजा का ही मामला नहीं है, बल्कि हाल ही में पड़ोसी झारखंड से भी हाथियों के हमले में कुछ लोगों के मरने की खबरें आई हैं। छत्तीसगढ़ की ही बात की जाए तो वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पिछले पांच सालों में राज्य में हाथी के हमलों में 320 लोगों की जान जा चुकी है। यह कितना त्रासद है कि उस क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष बढ़ रहा है, जहां हाथी और आदिवासी सदियों से शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रहते आए हैं।

TAGGED:BALRAMPURChhattisgarhELEPHENT ATTACKhasdeoJharkhand
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