नई दिल्ली। मणिपुर में हिंसा के करीब 2 साल बाद गृहमंत्री अमित शाह ने माना है कि जातीय हिंसा में 260 लोग मारे गए थे। हिंसा 3 मई 2023 को शुरू हुई थी। यह हिंसा मैतेई समुदाय और कुकी जनजाति के बीच तब भड़की, जब ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर ने आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन किया था।
मणिपुर में लागू राष्ट्रपति शासन की पुष्टि के लिए लाया गया सांविधिक प्रस्ताव शुक्रवार तड़के (4 अप्रैल) संसद में पारित हो गया। इस प्रस्ताव को सबसे पहले लोकसभा ने मंजूरी दी थी और फिर राज्यसभा में इसे करीब चार बजे ध्वनिमत से पारित किया गया।
गौरतलब है कि मणिपुर में हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के चलते 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार दो महीने के भीतर इसकी संसदीय पुष्टि जरूरी थी। इसी क्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यह प्रस्ताव पेश किया, जिसमें उन्होंने मणिपुर हिंसा का जिक्र किया।
इससे पहले वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मणिपुर में इतनी हिंसा के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी को वहां जाने का मौका मिला। सत्तारूढ़ दल पर जब दबाव पड़ा तो मणिपुर के मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। मणिपुर में भाजपा की ‘डबल इंजन सरकार’ बुरी तरह विफल साबित हुई है।
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने कहा कि मणिपुर में 22 महीने से हालात खराब हैं और प्रधानमंत्री एक बार भी नहीं गये। सत्तारूढ़ दल मणिपुर को लेकर घमंड भरा रवैया अपना रहा है।