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लेंस संपादकीय

वक्फ बिल से क्या चाहती है सरकार

The Lens Desk
Last updated: April 3, 2025 7:08 pm
The Lens Desk
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बुधवार देर रात लोकसभा में पारित वक्फ बिल के राज्यसभा से भी पारित होने में कोई अड़चन नहीं है, लेकिन दोनों सदनों में हुई तीखी बहस से उठे मुद्दे सरकार की नीति और नीयत दोनों पर सवाल खडे़ कर रहे हैं। लोकतंत्र बहुमत के साथ ही समन्वय से चलता है, लेकिन पिछले कई विवादास्पद मामलों की तरह मोदी सरकार संख्या बल पर एक बार फिर एक ऐसे बिल को पारित करवा रही है, जिस पर व्यापक रायशुमारी की जरूरत थी। लेकिन हाल यह है कि जेपीसी में विपक्ष के एक भी संशोधन को मंजूर नहीं किया गया, क्योंकि सरकार समन्वय चाहती ही नहीं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने भले ही यह कहा है कि सरकार वक्फ बोर्ड मस्जिद समेत मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में दखल नहीं देगी, लेकिन बिल के कई प्रावधान संदेह पैदा करते हैं। वक्फ बिल केवल संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन से ही नहीं जुड़ा हुआ है, बल्कि इससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता भी जुड़ी हुई है, जैसा कि एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी सहित कई सदस्यों ने संविधान के अनुच्छेद 14 का मुद्दा उठाया है। सरकार शाहबानो मामले में राजीव सरकार की गलतियों को लेकर विपक्ष पर हमलावर तो हो सकती है, लेकिन वह खुद जो कर रही है, वह मुस्लिम समुदाय के साथ ही देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के लिए खतरा है। भाजपा की केंद्र और उसकी राज्य सरकारों का नजरिया मुस्लिमों के प्रति कैसा है, यह तो हाल ही में रमजान और ईद के दौरान दिख गया था, जब सड़क ही नहीं अपने घरों पर नमाज पढ़ने के खिलाफ फरमान जारी किए गए! यह बिल मुस्लिमों को थोड़ा और हाशिये की ओर धकेल देगा।

TAGGED:Big_NewsLok SabhamuslimRajya SabhaWakf Amendment Bill
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