हैदराबाद विश्वविद्यालय और तेलंगाना सरकार के बीच कांचा गाचीबोवली में 400 एकड़ जमीन को लेकर विवाद बढ़ गया है। सरकार जंगलों के पेड़ कटवा रही है, साथ ही चट्टानों को भी हटावाया जा रहा हैं। जिस पर तेलंगाना हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। वहीं, विश्वविद्यालय के छात्रों ने राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
दरअसल, तेलंगाना सरकार ने आईटी पार्क के विकास के लिए 400 एकड़ जमीन की नीलामी करने का फैसला किया है। यहाँ पिछले कुछ वर्षों में रणनीतिक रूप से स्थित विशाल भूखंडों की माँग बढ़ गई है। यहाँ कई कंपनियों ने अपने मुख्यालय भी स्थापित कर लिए हैं। हालाँकि, सरकार और हैदराबाद यूनिवर्सिटी के बीच का ये मामला अब हाईकोर्ट तक पहुँच गया है।
01 अप्रैल 2025 को छात्रों ने तेलंगाना इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन को ज़मीन सौंपने के खिलाफ जनहित याचिका दायर की। बुधवार को HC में सुनवाई के दौरान अगले आदेश तक जमीन पर किसी भी गतिविधि पर रोक लगा दी है। दरअसल, 30 मार्च से ही बुलडोजर आदि लगाकर वहाँ जमीनों की सफाई की जा रही थी।
उधर, इसके विरोध में 1 अप्रैल 2025 को हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच दो जगहों पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 500 छात्रों ने विश्वविद्यालय के मुख्य गेट पर प्रदर्शन किया, जबकि अन्य 150 छात्र प्रशासनिक भवन के सामने विरोध कर रहे थे। छात्रों ने विश्वविद्यालय की भूमि पर अतिक्रमण रोकने की माँग की है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार ज़मीन साफ करने में लग गई है। बुलडोजर और भारी मशीनरी से पेड़ों को काटा जा रहा है। यह क्षेत्र इकॉलॉजिक रूप से महत्व रखता है और इसे बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए। उधर, सरकार का कहना है कि यह वनभूमि नहीं है। इसे साल 2003 में निजी स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी को ट्रांसफर किया गया था।
बावजूद इसके, प्रशासन ने भूमि समतलीकरण के लिए काम शुरु कर दिया है। इस बीच प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। पुलिस ने दो छात्र समेत 53 लोगों को हिरासत में लिया है। वहीं छात्रों ने पुलिस पर बल प्रयोग और बदतमीजी करने का आरोप लगाया है।
विवाद ने लिया राजनीतिक मोड़
जमीनी विवाद ने अब राजनीतिक मोड़ ले लिया है। विपक्षी दल तेलंगाना सरकार पर पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील आईटी हब का निर्णय रद्द करने के लिए दबाव बना रहे हैं। भारत राष्ट्र समिति ने विवाद पर चुटकी लेते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस की ‘मोहब्बत की दुकान’ अब हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी तक पहुँच गई है।
BRS का कहना है कि राहुल गाँधी को उनकी पार्टी के उद्देश्यों के खिलाफ काम करना भारी पड़ गया है। BRS ने आंदोलनकारी छात्रों और पत्रकारों की गिरफ्तारी की भी आलोचना की। BRS के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने कहा कि यह ‘नासमझी’ भरा कदम है, क्योंकि यह हैदराबाद को शुद्ध वायु से वंचित करेगा।
वहीं, विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता अल्लेती महेश्वर रेड्डी की अध्यक्षता में पार्टी विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल घटनास्थल पर जाने वाला था। उन्होंने पूछा कि राज्य की कॉन्ग्रेस सरकार कांचा गाचीबोवली में सैकड़ों बुलडोजर और मशीनों से पेड़ों को हटाकर 400 एकड़ जमीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश क्यों कर रही है। विधायक के आवास के पास कई पुलिस अधिकारी तैनात किए गए।
कई साल पुराना है विवाद
हैदराबाद यूनिवर्सिटी और सराकार के बीच ये सालों पुराना है। रिपोर्ट के अनुसार, विश्वविद्यालय ने दावा किया है कि 1975 में उसे 2324 एकड़ ज़मीन आवंटित की गई थी। इनमें से 400 एकड़ का यह भूभाग भी शामिल है। साल 2022 में तेलंगाना हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि यूनिवर्सिटी के पास इस भूमि के हस्तांतरण के कोई अधिकारिक दस्तावेज नहीं है।