- 2016 में निकाली गई भर्ती में सामने आया बड़ा घोटाला, 24,640 पदों के लिए आवेदन मांगे गए, लेकिन जारी कर दिए गए 25,753 नियुक्ति पत्र
कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के 25,000 शिक्षकों की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए उनकी बर्खास्तगी को मंजूरी दे दी है। यह फैसला न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि ममता बनर्जी सरकार के लिए भी एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की संयुक्त पीठ ने इस भर्ती प्रक्रिया में भारी अनियमितताओं की ओर इशारा किया। कोर्ट ने इसे “पूरी तरह दूषित और दागी” करार देते हुए स्पष्ट किया कि इतनी गड़बड़ियों के बावजूद इन शिक्षकों को पद पर बनाए नहीं रखा जा सकता।
कैसे सामने आया भर्ती घोटाला
यह पूरा मामला 2016 में शुरू हुआ, जब पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) ने राज्य के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती निकाली थी। भर्ती में 24,640 पदों के लिए आवेदन मांगे गए, लेकिन 25,753 नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए। ओएमआर शीट से छेड़छाड़, रैंक-जंपिंग जैसी गड़बड़ियों की वजह से यह मामला कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंचा, जिसने अप्रैल 2024 में सभी नियुक्तियां रद्द कर दीं।
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए आदेश दिया कि गलत तरीके से नियुक्त शिक्षकों को अपने वेतन और भत्तों की राशि 12% ब्याज के साथ लौटानी होगी। इससे प्रभावित शिक्षक अब न सिर्फ अपनी नौकरी खो चुके हैं, बल्कि उन्हें मिली सैलरी भी वापस करनी होगी।
नेताओं और अफसरों पर लटक सकती है ‘तलवार’
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस भर्ती घोटाले की जांच जारी रखने का निर्देश दिया है। ऐसे में इसमें शामिल सरकारी अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को मई 2024 में जांच के निर्देश दिए थे।